दिल्ली में पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) नवंबर से फरवरी के बीच करीब 2.45 लाख बच्चों की जांच की गई. इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि 5 साल से कम उम्र के करीब 25,000 बच्चे निमोनिया से पीड़ित पाए गए. यह जानकारी दिल्ली के इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में सामने आई है, ये रिपोर्ट को शुक्रवार (1 मार्च) को जारी किया गया. निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो सांस लेने में तकलीफ पैदा करती है.


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निमोनिया से 988 बच्चों की मौत


बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए "SAANS (social awareness and actions to neutralize pneumonia successfully )" अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत करीब 3 लाख घरों का दौरा किया गया और ढाई लाख से ज्यादा बच्चों की जांच की गई. गंभीर निमोनिया से पीड़ित 6,143 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज किया गया, वहीं 17,995 बच्चों का इलाज OPD में किया गया. हैरान करने वाली बात ये है कि इस बीमारी के कारण साल 2022-23 में 0.1 साल से 5 साल की उम्र के 988 बच्चों की मौत हो गई.


किन-किन चीजों से होती है ये बीमारी?


डॉक्टरों के मुताबिक निमोनिया ज्यादातर बैक्टीरिया, वायरस और फंगस की वजह से होता है. प्रदूषण भी निमोनिया का खतरा बढ़ा देता है. अधिक आबादी और प्रदूषण वाली जगहों पर यह बीमारी और तेजी से फैलती है. प्रदूषित हवा श्वास नली को खराब करता है और शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर कर देता है. इस वजह से बच्चों को निमोनिया जैसी सांस की बीमारियां जल्दी हो जाती हैं.


निमोनिया से बचाव के उपाय


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रदूषण के अलावा बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए उन्हें संतुलित आहार देना, साफ-सफाई का ध्यान रखना और समय-समय पर टीकाकरण करवाना बहुत जरूरी है. अगर आपके बच्चे को तेज बुखार है, सांस लेने में तकलीफ हो रही है या खाने में परेशानी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. 


Disclaimer: प्रिय पाठक, संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है. जी मीडिया इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.