आजकल के रिश्ते कब बनते हैं और कब टूट जाते हैं, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. खासकर Gen Z, यानी युवाओं की नई पीढ़ी, जो डिजिटल दुनिया में पली-बढ़ी है, उनके रिश्ते तेजी से बदलते नजर आते हैं. प्यार से लेकर ब्रेकअप तक की प्रक्रिया इतनी जल्दी होती है कि पलभर में किसी का दिल टूट जाता है. आज हम उन 5 प्रमुख समस्याओं पर चर्चा करेंगे, जो Gen Z के रिश्तों को कमजोर बना रही हैं.


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1. कम्युनिकेशन गैप (संचार की कमी): रिश्तों में बातचीत सबसे अहम होती है, लेकिन Gen Z में अक्सर देखा गया है कि डिजिटल संचार ने असल बातचीत की जगह ले ली है. कई बार सोशल मीडिया और टेक्स्ट मैसेजिंग के जरिए भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त नहीं किया जा पाता, जिससे गलतफहमियां पैदा होती हैं. जब रिश्ते में बातचीत की कमी होती है, तो आपसी समझ और भरोसा भी कमजोर होने लगता है.


2. इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन (तुरंत संतुष्टि की चाह): Gen Z के रिश्तों में एक बड़ी समस्या यह है कि वे सब कुछ तुरंत पाने की इच्छा रखते हैं. चाहे वो प्यार हो या रिश्ते में कोई अन्य चीज, वे धैर्य नहीं रखते. लंबे समय तक किसी के साथ बने रहना या रिश्ते को गहराई देने के लिए वक्त देना अब दुर्लभ होता जा रहा है. यदि वे अपने रिश्ते से तुरंत खुश नहीं होते, तो वे जल्दी ब्रेकअप की ओर बढ़ जाते हैं, जिससे रिश्ते अस्थिर हो जाते हैं.


3. सोशल मीडिया का ज्यादा प्रभाव: सोशल मीडिया ने रिश्तों पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है. तस्वीरें पोस्ट करना, लाइक्स और कमेंट्स से संतुष्टि पाना या अपने पार्टनर की सोशल मीडिया एक्टिविटी पर नजर रखना- यह सब रिश्तों में तनाव का कारण बनता है. Gen Z में यह समस्या आम है कि वे अक्सर अपने रिश्ते की तुलना सोशल मीडिया पर दिखाए गए 'आइडल' रिश्तों से करते हैं, जिससे असली जिंदगी में रिश्ते कमजोर पड़ने लगते हैं.


4. विश्वास की कमी: Gen Z के रिश्तों में विश्वास की कमी एक आम समस्या है. जब कोई अपने पार्टनर के फोन या सोशल मीडिया अकाउंट की जासूसी करता है, तो यह रिश्ते में अविश्वास को बढ़ावा देता है. पार्टनर पर भरोसा न करना और हर कदम पर शक करना रिश्तों को कमजोर करता है. विश्वास का टूटना अक्सर रिश्तों को समाप्ति की ओर ले जाता है.


5. कमिटमेंट फोबिया: Gen Z के युवाओं में कमिटमेंट फोबिया एक आम बात हो गई है. लॉन्ग टर्म रिश्तों में बंधने का विचार कई युवाओं के लिए डरावना होता है. वे रिश्ते में तो होते हैं, लेकिन जब किसी स्थायी बंधन की बात आती है, तो वे पीछे हट जाते हैं. रिश्ते को गंभीरता से न लेने की प्रवृत्ति और लंबे समय तक बने रहने की इच्छा की कमी रिश्तों को कमजोर बना देती है.