Liver Disease: साइलेंट किलर से कम नहीं लिवर की बीमारी, भारत में होने वाली 66% मौतों के पीछे बन रही मुख्य वजह
गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) के कारण होने वाली मौतों और मामलों में वृद्धि चिंता का विषय बन चुकी है और इसमें लिवर की सेहत का केंद्रीय भूमिका निभाना महत्वपूर्ण है.
गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) के कारण होने वाली मौतों और मामलों में वृद्धि चिंता का विषय बन चुकी है और इसमें लिवर की सेहत का केंद्रीय भूमिका निभाना महत्वपूर्ण है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) पर संशोधित दिशानिर्देश और ट्रेनिंग मॉड्यूल जारी करते हुए इस पर प्रकाश डाला. इसका उद्देश्य NAFLD से संबंधित बीमारी देखभाल और परिणामों को एविडेंस-बेस्ड प्रेक्टिस के माध्यम से सुधारना है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, अपूर्व चंद्रा ने कहा कि NAFLD तेजी से एक बड़ी पब्लिक हेल्थ समस्या बनती जा रही है, जो मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसी मेटाबॉलिक बीमारियों से निकटता से जुड़ी हुई है. 10 में से 1 से 3 लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं, जो इसके प्रभाव को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि दिशानिर्देशों में NCDs से पीड़ित लोगों के लिए निरंतर देखभाल के महत्व पर जोर दिया गया है और NAFLD की रोकथाम के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में 66% मौतें गैर-संक्रामक बीमारियों के कारण हो रही हैं, जिनमें धूम्रपान और तंबाकू का सेवन, शराब का ज्यादा उपयोग, हेल्दी डाइट, अपर्याप्त फिजिकल एक्टिविटी और वायु प्रदूषण प्रमुख रिस्क फैक्टर हैं. मेटाबॉलिक बीमारियों की एक प्रमुख वजह लिवर होती है, और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) भारत में लिवर रोग का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिसकी प्रचलन दर 9% से 32% तक है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, "भारत NCDs के लिए वैश्विक रूप से अधिक संख्या में योगदान देता है और मेटाबॉलिक बीमारियों का एक मुख्य कारण लिवर में है. इस बढ़ते बोझ को पहचानते हुए और इसे संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता को समझते हुए, भारत 2021 में NAFLD को राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल करने वाला पहला देश बन गया.
फैटी लिवर बीमारी को रोकना क्यों जरूरी?
फैटी लिवर बीमारी भारत में तेजी से फैल रही है, जिसका मुख्य कारण लाइफस्टाइल में बदलाव है. विशेष रूप से हेल्दी डाइट और बैठे रहने की आदतों के कारण यह बीमारी अधिक हो रही है. नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का मोटापा, डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से गहरा संबंध है, जो भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं. अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो यह लिवर सूजन, फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.