History of chutney: भारतीय भोजन में चटनी और अचार का बहुत बड़ा महत्व है. चटनी (chutney benefits) का खट्टा, मीठा या तीखा स्वाद खाने का जायका बढ़ा देता है. यह लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है, जिससे यह यात्रा के दौरान भोजन को ताजा रखने में मदद करता है. धनिया, पुदीना, आम और लहसुन से बनी चटनी सबसे आम है, लेकिन भारत में कई अन्य प्रकार की चटनी भी हैं. भारत में चटनी बनाने की शुरुआत कब हुई, आइए पता करते हैं.


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चटनी शब्द संस्कृत के "चाटनी" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है "चाटना". भारत में चटनी का इतिहास बहुत पुराना है. माना जाता है कि चटनी की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी में हुई थी. एक बार जब मुगल बादशाह शाहजहां (Mughal emperor Shahjahan) बीमार हो गए थे, तब उनके हकीम ने उन्हें मसालेदार भोजन करने को कहा. इसके बाद शाहजहां के रसोइया ने पुदीना, असली, धनिया, जीरा, लहसुन और सोंठ जैसी चीजों को मिलाकर अच्छी तरह पीस लिया और एक चटनी तैयार कर ली. रसोइया ने उस चटनी में जरूरत के हिसाब से नमक, मिर्च और अन्य मसाले भी बनाएं.  हकीम ने चटनी का स्वाद चखने के बाद कहा कि इसे भोजन के साथ कम मात्रा में खाएं. इस घटना के बाद से चटनी को अन्य भोजन के साथ भी परोसा जाने लगा.


गलती से हुआ चटनी का आविष्कार!
चटनी का उल्लेख भले ही 17वीं शताब्दी के दौरान मिलता हो, लेकिन कई इतिहासकार और फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि चटनी का इतिहास हजारों साल पुराना है. संभव है कि हमारे पूर्वजों ने भी कच्ची चीजों को पीसकर उनका मोटा पेस्ट बनाया था. कई इतिहासकार बताते हैं कि चटनी का आविष्कार गलती या दुर्घटना की वजह से हुआ था. चटनी को बनाने के लिए अलग-अलग तरह के फल और विभिन्न मसालों का इस्तेमाल भी किया जाता है.



भारत में चटनी का प्रसार
मुगल काल के दौरान चटनी का प्रसार भारत के विभिन्न हिस्सों में हुआ. मुगल शासकों ने भारत में कई नए व्यंजन और मसाले पेश किए, जिनमें चटनी भी शामिल थी. चटनी को मुगलों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में फैलाया, जिससे यह भारतीय भोजन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया. आज, भारत में चटनी की कई अलग-अलग किस्में हैं. कुछ लोकप्रिय चटनियों में आम, दही, धनिया, पुदीना, लहसुन, मिर्च, इमली, और फल और सब्जियों की चटनी शामिल हैं. चटनी भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह भोजन को स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाता है, और यह भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक है.