बच्चों की जिद, गुस्सा या गलत व्यवहार से हर माता-पिता परेशान होते हैं. अक्सर गुस्से में या हताश होकर हम उन्हें डांट देते हैं, कभी-कभी सजा भी दे देते हैं. लेकिन क्या यह सही तरीका है? आज हम बात कर रहे हैं बच्चों को अनुशासन सिखाने की एक बेहतर तकनीक के बारे में, जिसे 'टाइम आउट' कहते हैं.


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क्या है टाइम आउट?

टाइम आउट का मतलब होता है थोड़े समय के लिए किसी गतिविधि को रोक देना. बच्चों की परवरिश के मामले में, इसका मतलब है कि जब बच्चा गलत व्यवहार करता है, गुस्सा करता है या जिद करता है, तो उसे थोड़े समय के लिए अकेले शांत जगह पर बिठा दिया जाता है. इस दौरान उसे खेलने का कोई सामान नहीं दिया जाता और माता-पिता उससे बात नहीं करते. 


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यह तरीका 2 से 6 साल के बच्चों के लिए काफी कारगर साबित होता है. आइए जानते हैं टाइम आउट के फायदे:


शांत दिमाग, बेहतर सोच

गुस्से या जिद की हालत में बच्चा ठीक से सोच नहीं पाता. टाइम आउट उसे शांत होने का मौका देता है, जिससे वो अपनी गलती समझ सकता है.


भावनाओं को नियंत्रित करना सीखना

टाइम आउट बच्चों को अपनी भावनाओं को मैनेज करना सिखाता है. वो गुस्से या जिद में किसी को चोट न पहुँचाए, ये भी सीखते हैं.


सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा

जब बच्चा अच्छा व्यवहार करता है, तो उसकी तारीफ करें. इससे उसे पता चलेगा कि किस तरह का व्यवहार सही है.


माता-पिता को भी मिलता है आराम

गुस्से या तनाव में माता-पिता भी सही फैसले नहीं ले पाते. टाइम आउट उन्हें भी शांत होने का मौका देता है.


टाइम आउट का इस्तेमाल कैसे करें?

सबसे पहले बच्चे को ये समझाएं कि टाइम आउट क्या है और ये कब इस्तेमाल किया जाएगा. जब बच्चा गलती करे, तो उसे शांत स्वर में समझाएं और फिर उसे टाइम आउट स्पॉट पर ले जाएं. उम्र के हिसाब से टाइम आउट का समय तय करें. टाइम आउट खत्म होने के बाद बच्चे से उसकी गलती के बारे में बात करें और उसे सही रास्ता दिखाएं.

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