नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने 6 माह में ही अपना फैसला बदल दिया है. 2018 के अंत में कांग्रेस को भारी बहुमत से जिताने के बाद अब जनता ने भाजपा को चुना है और इसका नतीजा यह हुआ की 11 लोकसभा सीटों में से 9 पर भाजपा तो कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत नसीब हुई है. बता दें 2018 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 90 में से 68 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी, जबकि भाजपा को सिर्फ 15 सीटों पर ही जीत नसीब हुई थी. वहीं 2 पर बसपा और 5 पर जकांछ ने जीत दर्ज कराई थी. ऐसे में 23 मई को आए लोकसभा चुनाव रिजल्ट में जनता के सुर बिल्कुल बदले हुए नजर आए.


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2018 विधानसभा चुनाव में पांच में से तीन राज्यों सरकार बनाने के बाद भी कांग्रेस इस जीत को भुनाने में नाकामयाब रही. मतदाता वही, चेहरे वही, लेकिन मुद्दे नहीं थे. विधानसभा में स्थानी मुद्दा हावी रहा तो  लोकसभा में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव के परिणाम सामने आए हैं. दुर्ग लोकसभा में CM भूपेश बघेल के क्षेत्र पाटन विधानसभा से बीजेपी को सबसे ज्यादा लीड मिली. वहां से वो 22000 वोटों से आगे रहे.



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वहीं कवर्धा क्षेत्र से जहां कांग्रेस को सबसे बड़ी लीड मिली थी, वहां बीजेपी आगे हो गई. कोरबा से जहां कांग्रेस के चरणदास महंत विधानसभा में जीते थे, वहां से उनकी पत्नी ज्योत्स्ना महंत पिछड़ गईं. उन्हें रामपुर सीट से लीड मिली. भीमा मंडावी की शहादत से मिली दंतेवाड़ा सीट से बीजेपी को भारी लीड. बीजेपी को जगदलपुर और दंतेवाड़ा से लीड मिली, लेकिन बाकी जगहों से ज्यादा वोट कांग्रेस के खाते में आये.


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रायपुर की बात करें तो कांग्रेस के प्रमोद दुबे जिस ब्राह्मणपारा से तीन बार के पार्षद रहकर महापौर बने, वो वहां से ही पिछड़ गए, बीजेपी के सुनील सोनी को इस क्षेत्र से अच्छी लीड मिली. सरगुजा में कांग्रेस के खेलसाय सिंह अपने ही क्षेत्र में भारी मतों के अंतर से पिछड़ गए. विधानसभा चुनाव में वो 15340 मतों से जीते थे, लेकिन यहां से वो 40045 वोटों से पिछड़ गए.