नई दिल्‍ली: चुनावों की तारीख का ऐलान हो चुका है. 7 चरणों में होने वाले चुनावों के नतीजे 23 मई को सामने आएंगे. लेकिन उससे पहले प्री पोल सर्वे में दावा किया गया है कि बीजेपी नीत एनडीए बहुमत के आंकड़े से थोड़ा पीछे रह सकता है. यूपीए तमाम कोशिशों के बाद भी 141 तक ही पहुंच पाएगा. सी-वोटर-आईएएनएस के मत सर्वेक्षण में एनडीए को 264 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है, जो सरकार बनाने के लिए आवश्यक 272 सीटों के आंकड़े से आठ कम है.


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लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राजग और राहुल गांधी के नेतृत्व वाले संप्रग के बीच बना हुआ है, लेकिन अगली सरकार के गठन में गैर भाजपा और गैर कांग्रेस क्षेत्रीय दलों का गठबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. एनडीए में जनता दल युनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) बिहार में 20 सीटें जीत सकते हैं, जबकि 14 सीटों के साथ शिवसेना एक दूसरा मजबूत साझेदार बनकर उभर सकती है. मोदी सरकार की एक सर्वाधिक मुखर आलोचक शिवसेना चार सीटें गंवा सकती है.



एनडीए को दक्ष‍िण में खोजने होंगे साझेदार
एनडीए को अगले चुनावों में 300 के पार जाने के लिए दक्ष‍िण के राज्‍यों में नए साझीदार बनाने होंगे. अनुमान जाहिर किया गया है कि आंध्र में जगन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, केसीआर की टीआरएस और ओडि‍शा में बीजेडी 36 सीटें जीत सकती हैं. इसमें वाईएसआरसीपी को आंध्र प्रदेश में 11 सीटें मिल सकती हैं, बीजद को ओडिशा में नौ और टीआरएस तेलंगाना में 17 में से 16 सीटें जीत सकती है. इन तीनों पार्टियों के समर्थन से राजग न केवल बहुमत पा सकता है, बल्कि लोकसभा में 300 का आंकड़ा पार कर सकता है.


चुनाव बाद गठबंधन से भी संप्रग के पास पर्याप्त सीटें नहीं
चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से पिछड़ने के बाद कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की नजर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन पर और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पर टिकी है, जिससे वह अपने खाते में कुछ सीटें जोड़ सके. सी-वोटर-आईएएनएस सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के महागठबंधन को 47 सीटें मिल सकती हैं. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 34 सीटों पर जीत बरकरार रख सकती है. संप्रग को 141 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें कांग्रेस की 86 और सहयोगी दलों की 55 सीटें शामिल हैं.



उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम (आल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ) और केरल (वाम मोर्चा के साथ) में अगर चुनाव बाद गठबंधन होता है तो संप्रग की कुल सीटें 226 हो सकती हैं. इसके बाद भी यह बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से पीछे रहेगा, लेकिन 2014 के मुकाबले मजबूत विपक्ष बनकर उभरेगा.


संप्रग के भीतर तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) 30 सीटें जीत सकती है. संप्रग में शामिल बाकी सभी पार्टियां हाशिये पर ही रहेंगी. महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) छह सीटें जीत सकती है, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चार और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पांच सीटें जीत सकती है.