नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजों से पहले बात करते हैं देश के दूसरे लोकसभा चुनाव की. 1957 में हुआ देश का दूसरा लोकसभा चुनाव भारतीय राजनीति के लिए बेहद अहम रहा. इसी लोकसभा चुनाव में भारतीय राजनीति केचार बड़े स्‍तंभ पहली बार चुनाव जीत कर संसद पहुंचे. 1957 के लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ने वाले इन चार प्रमुख हस्तियों में लाल बहादुर शास्‍त्री, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरार जी देसाई और आर.वेंकटरमन का नाम शामिल हैं. उल्‍लेखनीय है कि आगे चलकर आर.वेंकटरमन देश के आठवें राष्‍ट्रपति बने, जबकि लाल बहादुर शास्‍त्री देश के दूसरे, मोरारजी देसाई देश के चौथे और अटल बिहारी वाजपेयी देश के दसवें प्रधानमंत्री बने. आइए चुनावनामा में जानते हैं राजनीति की इन हस्तियों ने किन संसदीय सीट से जीत हासिल की और संसद में पहुंचे. 


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इलाहाबाद लोकसभा सीट से संसद पहुंचे थे लालबहादुर शास्‍त्री
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लालबहादुर शास्‍त्री 1957 में पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. उन्‍होंने यह चुनाव इंडियन नेशनल कांग्रेस की टिकट पर इलाहाबाद लोकसभा सीट से लड़ा था.  इस चुनाव में लालबहादुर शास्‍त्री के सामने कुल तीन प्रतिद्वंदी उम्‍मीदवार थे. जिसमें प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी से राधेश्‍याम पाठक, भारतीय जन संघ से भुलाई सिंह और एक निर्दलीय प्रत्‍याशी मुबारक मजदूर शामिल है. इस चुनाव में कुल 4,15,162 मतदाताओं में से 2,13,814 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिसमें 1,24,896 वोट हासिल कर लालबहादुर शास्‍त्री चुनाव को अपने पक्ष में कर लिया.



मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक वोट हासिल कर रचा था इतिहास
बम्‍बई की सूरत सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मोरारजी देसाई ने 1957 के दूसरे लोकसभा चुनाव में एक कीर्तिमान स्‍थापित किया था. इस चुनाव में मोरारजी देसाई ने 82.98 फीसदी वोट हासिल कर देश में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी. उल्‍लेखनीय है कि 3,74,614 मतदाताओं वाली इस सीट से निर्दलीय प्रत्‍याशी डी.किशनलाल मेहता भी मैदान में थे. इस चुनाव में कुल 2,29,639 मतदाताओं ने वोट डाला और मोरारजी देसाई 1,90,563 वोट हासिल कर देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की. इस चुनाव में मोरारजी देसाई ने डी.किशनलाल को करीब 65 फीसदी के अंतर से शिकस्‍त दी थी. 



तीन संसदीय सीटों से अटल बिहारी वाजपेयी ने लड़ा था चुनाव
भारत के दसवें प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर सांसद अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत 1957 के लोकसभा चुनाव से की थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में भी जनसंघ के टिकट पर लखनऊ संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता उनसे दूर रही. 1957 में भारतीय जनसंघ ने अटल बिहारी वाजपेयी को लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से अपना  प्रत्‍याशी बनाया. अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ और मथुरा से तो चुनाव हार गए, लेकिन बलरामपुर सीट पर कांग्रेस के उम्‍मीदवार हैदर हुसैन को शिकस्‍त देने में कामयाब हो गए.



मद्रास की तंजावुर सीट से सांसद चुने गए आर.वेंकटरमन
देश के आठवें राष्‍ट्रपति आर.वेंकटरमन पहली बार मद्रास की तंजावुर सीट से सांसद चुने गए थे. 1957 में हुए देश के दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर आर.वेंकटरमन ने चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में आर.वेंकटरमन को चुनौती देने के लिए चुनावी मैदान में प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी के केएम वल्‍लाथरासु और निर्दलीय प्रत्‍याशी डी.अरुमुंगा पलांगोंदर भी मौजूद थे. इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्‍याशी को एक भी वोट नहीं मिला, जबकि प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी के केएम वल्‍लाथरासु को 42 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, आर.वेंकटरमन ने इस चुनाव में 57.94 फीसदी वोट हासिल कर जीत को अपने पक्ष में कर लिया था.



चुनाव जीत ये हस्तियां भी पहली बार पहुंची संसद 
1957 का दूसरा लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचने वाली हस्तियों में ग्‍वालियर घराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया का नाम भी शामिल है. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस की टिकट पर गुना से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्‍होंने अखिल भारतीय हिंदू महासभा के उम्‍मीदवार वीजी देशपांडे को 60 हजार से अधिक मतों से शिकस्‍त दी थी. वहीं 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में शिकस्‍त पाने वाले कम्‍युनिस्‍ट नेता श्रीपद अमृत और प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी के आचार्य जेबी कृपलानी को भी जीत हासिल हुई. कृपलानी बिहार की सीतामढ़ी और श्रीपद अमृत मुंबई (मध्‍य) से चुनाव जीत कर संसद पहुंचने में कामयाब रहे.