चुनावनामा: इंदिरा ने न्यायालय के आदेश को मानने से किया इनकार और देश में लगा आपातकाल
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) भी आपातकाल के जिक्र से अझूता नहीं है. सत्तारूढ़ दल रह-रह कर 1975 में लागू हुए आपातकाल की याद दिलाकर विरोधियों को घेरना का प्रयास कर रहा है.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) के प्रचार अभियान के दौरान राजनैतिक दल रह-रह कर इंदिरा के आपातकाल का हवाला दे रहे हैं. चुनाव के दौरान आपातकाल का जिक्र कर राजनैतिक दल मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं. दरसअल, 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने रायबरेली संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था. इस सीट पर इंदिरा गांधी का सामना संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के समाजवादी नेता राजनारायण से था. इस चुनाव में 1लाख 83 हजार 309 वोट पाकर इंदिरा ने जीत हासिल की थी.
वहीं राजनारायण सिर्फ 71 हजार 499 वोट पाकर चुनाव हार गए थे. जिसके बाद, राजनारायण ने इंदिरा की इस जीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी. चुनावनामा में आज बात करते हैं आपातकाल से जुड़े विभिन्न पहलुओं की.
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समाजवादी राजनारायण ने इंदिरा पर लगाए थे 14 आरोप
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किए गए इस मामले में राजनारायण ने इंदिरा पर कुल 14 आरोप लगाए थे. जिसमें सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करना, तय सीमा से अधिक राशि खर्च करना और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीके से सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करना जैसे आरोप भी शामिल थे. करीब चार साल तक चले इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी आरोपों को सही पाया और 12 जून 1975 को जस्टिस जगमोहन लाल ने रामनारायण के पक्ष में फैसला सुना दिया. न्यायालय ने इंदिरा का निर्वाचन रद्द करते हुए अगले पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी.
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हाईकोर्ट के फैसले को इंदिरा ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी. 24 जून 1975 को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एक तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, वहीं दूसरी तरफ इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने की इजाजत दे दी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद जयप्रकाश नारायण ने देशव्यापी आंदोलन चलाकर इंदिरा गांधी पर इस्तीफा देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. इधर, इंदिरा गांधी ने इस पूरे घटनाक्रम को अपने खिलाफ साजिश बताया और 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति से आपातकाल लागू करने की सिफारिश कर दी.
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25 जून 1975 को इंदिरा ने देश में लागू किया आपातकाल
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल का अध्यादेश तत्कालीन राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया. इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए. जिसके बाद, इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान की धारा 352 का हवाला देते हुए देश में आपातकाल घोषित कर दिया. यह आपातकाल करीब 21 महीने तक चला. 18 जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग करने की घोषणा के साथ देश को बताया कि मार्च में अलगे चुनाव कराए जाएंगे. जिसके बाद 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्म होने की घोषणा कर दी गई.
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अपने खिलाफ साजिश बता विरोधियों को भेजा था जेल
25 जून 1977 की रात आपातकाल लागू करने से पहले इंदिरा गांधी ने देश के नाम दिए संदेश में पूरे प्रकरण को अपने खिलाफ साजिश बताया था. आकाशवाणी में प्रसारित अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही है. आपातकाल लागू होने के बाद, इंदिरा गांधी ने अपने तमाम विरोधियों को सलाखों के पीछे भेज दिया था. इन विरोधियों में जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, जार्ज फर्नांडिस जैसे नेता भी शामिल थे.