जयपुर: राजस्थान की चर्चित बीकानेर सीट पर कांग्रेस ने पूर्व आईपीएस अधिकारी मदनगोपाल मेघवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. यहां बीजेपी के अर्जुन राम मेघवाल तीसरी बार भाग्य आजमाएंगे. राजनीतिक समर में उतरे इन दोनों प्रत्याशियों में कई समानताएं हैं. दोनों भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में आए हैं, दोनों मेघवाल समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों मौसेरे भाई हैं.


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केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़कर राजनीति में आए और बीकानेर सीट से जीते. पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के शंकर पन्नू को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया. मोदी सरकार में मेघवाल का कद लगातार बढ़ा. वह लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक रहे और फिलहाल जल संसाधन के साथ साथ केंद्रीय राज्य मंत्री हैं.


बहरहाल, बीकानेर सीट पर उनके लिए हालात पहले जितने सुगम नहीं हैं. कभी बीजेपी में कद्दावर नेता रहे देवी सिंह भाटी उनका खुलकर विरोध कर रहे हैं और उन्हें टिकट देने के विरोध में पार्टी छोड़ चुके हैं. इसके अलावा, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर जाट और ब्राह्मण मतदाता भी खासी संख्या में हैं जिनका रूख इस बार बदला हुआ है.


वरिष्ठ पत्रकार श्याम मारू के अनुसार, ‘‘ कुछ भी हो अर्जुन राम बड़े नेता हैं इसलिए इस सीट पर उन्हें हराना नामुमकिन भले ही नहीं हो, बहुत मुश्किल जरूर है।' वह यह भी स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस के नये चेहरे मदनगोपाल मेघवाल निश्चित रूप से कड़ी टक्कर देंगे और माकपा द्वारा श्योपत राम मेघवाल को मैदान में उतारे जाने से मुकाबला रोचक हो गया है।


कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे मदनगोपाल आरपीएस से पदोन्नत होकर आईपीएस बने. उनकी सेवा के कई साल अभी बाकी थे लेकिन दिसंबर में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया. वह खाजूवाला से टिकट के दावेदार थे लेकिन बात नहीं बनी. अब पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट देकर दॉव खेला है. अर्जुनराम, मदनगोपाल के मौसेरे भाई हैं और उनसे बड़े हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस क्षेत्र का मेघवाल समाज और अजा जजा के अन्य मतदाता किस उम्मीदवार को अपनी पसंद बनाते हैं.


बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं .इनमें से सात तो बीकानेर जिले की हैं जबकि एक सीट अनूपगढ़ गंगानगर जिले में हैं .इन आठ में से तीन सीटें - बीकानेर पश्चिम, कोलायत और खाजूवाला कांग्रेस के पास हैं जबकि नोखा, लूणकरणसर तथा बीकानेर पूर्व भाजपा के पास हैं. वहीं डूंगरगढ माकपा के हिस्से में है.


पत्रकार मारू के अनुसार, डूंगरगढ़ के इलाके में माकपा के प्रत्याशी जोर दिखा सकते हैं लेकिन बाकी सीटों पर मुकाबला मुख्य तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहने की संभावना है. बीकानेर सीट के लिए मतदान छह मई को होना है.