नई दिल्लीः पुरानी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट (Chandni Chowk Lok Sabha constituency) हमेशा से ही सुर्खियों में रहती है. नए परिसीमन के आधार पर इस सीट के अंतर्गत 10 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें मटिया महल, बल्लीमारन, सदर बाजार, मॉडल टाउन, वजीरपुर, चांदनी चौक, त्रिनगर, शकूर बस्ती, शालीमार बाग और आदर्श नगर शामिल है. लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में भी यह सीट अहम भूमिका निभाने वाली है. पिछले 20 सालों के इतिहास को अगर हम देखें तो इस सीट से जो भी लोकसभा प्रत्याशी जीता है केंद्र में उसी की सरकार बनी है.


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चांदनी चौक से साल 1998 और 1999 में बीजेपी के विजय गोयल जीते तो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनीं. साल 2004 और 2009 में कांग्रेस के कपिल सिब्बल जीते तो केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी. 



वहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के डॉ हर्षवर्धन ने जीत दर्ज की तो केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनीं. पिछले आम चुनाव में इस सीट से कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर रही थी. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी आशुतोष दूसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस पार्टी के जय प्रकाश अग्रवाल चांदनी चौक से सबसे ज्यादा बार लोकसभा पहुंचे है. उन्होंने साल 1984,1989 और साल 1996 में जीत दर्ज की. बीजेपी के विजय गोयल और कांग्रेस के कपिल सिब्बल भी यहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं.


चांदनी चौक और सदर बाजार सीट का नाता
साल 2009 में चांदनी चौक लोकसभा सीट का परिसीमन हुआ था जिसके तहत दिल्ली सदर लोकसभा सीट को समाप्त कर उसके कई इलाकों का चांदनी चौक लोकसभा सीट में विलय किया गया. इसलिए चांदनी चौक लोकसभा सीट का महत्व दिल्ली सदर सीट के वोटरों और उसके नेताओं से भी प्रभावित रहता है. यहां बता दें कि दिल्ली सदर सीट पर भी चांदनी चौक सीट की तरह कांग्रेस और बीजेपी में कड़ा मुकाबला रहा है. 1998 में चांदनी चौक लोकसभा सीट जीतने से पहले विजय गोयल 1996 में दिल्ली सदर से सांसद रहे हैं. दिल्ली सदर सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता जगदीश टाइटलर चार बार सासंद रहे हैं और दिल्ली के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता मदन लाल खुराना भी 2 बार संसद पहुंचे है.