नई दिल्‍ली : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर हैं. लगभग सभी राजनीतिक दल इन चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूर्णरूप से कमर कस चुके हैं. महाराष्‍ट्र में मौजूद 48 लोकसभा सीटों में से एक नागपुर लोकसभा सीट भी सभी पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती के रूप में है. वैसे तो यह शहर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) का गढ़ रहा है, लेकिन इस सीट पर अधिकतर कांग्रेस ने बाजी मारी है. इस समय बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी यहां से सांसद हैं.


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6 विधानसभा क्षेत्र हैं नागपुर में
महाराष्‍ट्र की नागपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें नागपुर साउथ वेस्‍ट (52), नागपुर साउथ (53), नागपुर ईस्‍ट (54), नागपुर सेंट्रल (55), नागपुर वेस्‍ट (56), नागपुर नॉर्थ (57) शामिल हैं.


अधिकतर जीती है कांग्रेस 
1951 में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यहां अधिकतर मौकों पर कांग्रेस ने ही परचम लहराया है. संघ मुख्यालय होने के बावजूद यहां से सिर्फ दो बार ही बीजेपी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. 1996 में पहली बार यहां बीजेपी ने अपना खाता खोला था. 1996 में इस लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्‍मीदवार बनवारीलाल पुरोहित ने जीत दर्ज की थी. इसके दूसरी यह सीट 2014 तक कांग्रेस के पास रही. 


फाइल फोटो

2014 में गडकरी ने जीता चुनाव
2014 में नितिन गडकरी यहां से लोकसभा चुनाव जीता और बीजेपी का खाता यहां दूसरी बार खुला. साल 2009 में कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार ने यहां से जीत दर्ज की. मुत्तेमवार यहां से लगातार चौथी बार सांसद चुने गए थे.


यह है जातीय समीकरण
राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक नागपुर में जातीय समीकरण ही राजनीतिक दल की जीत तय करता है. इनके मुताबिक नागपुर में सवर्णों की संख्‍या अधिक है. इसलिए यहां दलित उम्‍मीदवार हमेशा पीछे रह जाते हैं. यहां दलित उम्‍मीदवार महज एक या दो सीटें ही जीत पाते हैं.