नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम का नजारा सुबह 11 बजे तक आए रुझानों में दिखने लगा है. भारतीय जनता पार्टी अब तक अपने दम पर 295 सीटों पर आगे है वहीं कांग्रेस पार्टी 51 सीटों पर आगे चल रही है. कांग्रेस की हालत इतनी खराब है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्यों में जहां उसकी सरकार है, वहां भी उसे सीटों के लाले पड़ गए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद अमेठी सीट पर आगे-पीछे हो रहे हैं. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत पीछे हैं और मध्य प्रदेश में कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पीछे चल रहे हैं.


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चुनाव के रुझान जिस तरफ आगे बढ़ रहे हैं उससे यही लगता है कि यह चुनाव जिस मुद्दे पर लड़ा गया था, वह कामयाब रहा. इस चुनाव में बीजेपी का एक ही मुद्दा था, मोदी है तो मुमकिन है, वहीं कांग्रेस और सारी विपक्षी पार्टियां मोदी हटाओ के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थीं. नतीजे बता रहे हैं कि मोदी के नाम पर लड़ा गया चुनाव मोदी के नाम पर ही खत्म हो रहा है और उसमें मोदी सब कुछ मुमकिन कर दिखाया है.


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बीजेपी के लिए इस बार सबसे कड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश से मानी जा रही थी जहां समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने गठबंधन किया था. इसके साथ ही कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी खड़े किए थे जो समीकरणों के हिसाब से गठबंधन को फायदा पहुंचाएं. लेकिन यहां ऐसी मोदी लहर चली कि सपा बसपा मिलकर अभी सिर्फ 20 सीटों पर आगे चल रहे हैं. एक तरह से देखा जाए तो यूपी में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद बीजेपी को करीब 20 सीट का नुकसान हो रहा है.



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लेकिन इस नुकसान की भरपाई बीजेपी ने चमत्कारिक रूप से पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से की है. इन दोनों राज्यों में पार्टी अब मुख्य विपक्ष दल बन चुकी है और यहां उसे 25 के करीब सीटें मिलने की उम्मीद है. भारतीय जनता पार्टी के लिए यह महज जीत नहीं होगी बल्कि पूर्व में ऐसा प्रवेश होगा जो उसे पूरे भारत की पार्टी बना देगी.


दक्षिण में केरल और तमिलनाडु में बीजेपी जरूर नहीं पहुंच सकी लेकिन कर्नाटक में खबर लिखे जाने तक बीजेपी 23 सीटों पर आगे थी. कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन और सरकार होने के बावजूद बीजेपी यहां ऐतिहासिक सीटें लाने जा रही है.


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 इस तरह देखा जाए तो पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तूती बोल रही है. पाकिस्तान के बालकोट पर हमले के बाद से देश में जो दूसरी मोदी लहर शुरू हुई थी, उसके दम पर प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर लाल किले से देश को संबोधित करेंगे.


यह चुनाव भारतीय राजनीति में 2014 में आए बदलाव को उसका स्थायी स्वभाव बनाते हुए दिख रहा है. एक ऐसा चुनाव जिसमें जनता स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय मुद्दे और राष्ट्रीय नेता को वोट दे रही है. इसमें जाति और क्षेत्र के समीकरण बहुत पीछे रह गए हैं.