नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे काफी चौकानेवाले दिख रहे हैं. मोदी सरकार की वापसी को रोकने के लिए महागठबंधन के जनक आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव काफी मशक्कत के बाद भी अपने सियासी चालों में असफल रहे. लालू यादव चुनावी शंतरंज पर सियासी चाल रांची के होटवार जेल से चल रहे थे. उनके हर चाल बीजेपी और जेडीयू को परास्त करने लिए होती थी. लेकिन उनकी सियासी चाल जेल से भी फेल हो गई है.


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लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं, इस वजह से वह लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी पार्टी और अपने गठबंधन का सहयोग परोक्ष रूप से जेल से कर रहे थे. उनकी लाख कोशिशों के बाद भी वह जेल से बाहर नहीं आ सके. लेकिन उनके बाहर न होने पर महागठबंधन के दलों को उनकी कमी खल रही थी. लेकिन उनकी कमी को दूर करने लिए लालू यादव जेल में ही अपनी सियासी दरबार लगा रहे थे.



रांची के रिम्स अस्पताल में लालू यादव इलाजरत हैं, लिहाजा शनिवार को मुलाकात के दिन लालू यादव जेल में ही अपनी सियासी दरबार लगाते थे. जहां से उन्होंने महागठबंधन की सीट, उम्मीदवार और सियासी मोहरे सेट किए थे. लालू यादव के मुताबिक ही सारी चीजें तय हो रही थी. जिसके लिए सभी दलों के नेता उनकी अनुमति के लिए जेल तक दरबार में शामिल होने जाते थे.


लालू यादव सियासी चाल के साथ-साथ विरोधियों पर निशाना साधने का भी काम कर रहे थे. अपने ट्विटर हैंडलर से वह लगातार पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे थे. वह एनडीए सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे थे. लेकिन उनकी सारे वार अब खाली दिख रहे हैं.


आरजेडी के उम्मीदवार और पार्टी का कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव ने लालू यादव को कमी को हथियार बनाया. और लालू यादव की कमी को सहानुभूति का हथियार बनाकर जीत के लिए आगे बढ़े. चुनावी अभियानों में ऐसा लग रहा था कि उनके हथियार काम कर रहे हैं. लेकिन नतीजों में ऐसा साफ हो गया कि बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव और लालू यादव के साथ सहानुभूति नहीं दिखाई है. हालांकि लालू यादव की बेटी मीसा भारती के लिए यह हथियार काम किया है.


लालू यादव ने जेल से अपने आरजेडी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए मतदान के पूर्व एक खुला पत्र लिखकर अपना संदेश भी दिया. उन्होंने जेल से ही मतदाताओं तक पहुंचने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन जनता ने उनसे किसी तरह की सहानुभूति नहीं दिखाई है.