पटनाः लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें चरण में पटना साहिब में मतदान है. बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले इस सीट से बिहारी बाबू 'शॉटगन' शत्रुध्न सिन्हा जीत की हैट्रिक लगाने की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि, चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सिन्हा के लिए इस बार मुकाबला इतना आसान नहीं है.


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बिहार की राजधानी में दिग्गजों के बीच टक्कर है जहां शत्रुध्न सिन्हा पटना साहिब लोकसभा सीट लगातार तीसरी बार बचाने के लिए चुनाव मैदान में हैं. सिन्हा इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है.



पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 18 उम्मीदवार मैदान में हैं इस लोकसभा क्षेत्र में पूरा शहर और बाहरी क्षेत्र के कुछ हिस्से आते हैं. यद्यपि इसे मुख्य तौर पर अभिनेता से नेता बने शत्रुध्न  सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के बीच सीधे मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है 


पटना साहिब संसदीय क्षेत्र का नाम सदियों पुराने सिख गुरुद्वारे पर रखा गया है, जो कि गंगा किनारे स्थित है और जहां गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था. पटना साहिब सीट 2008 के परिसिमन में अस्तित्व में आयी और सिन्हा ने यहां से 2009 में जीत दर्ज की और 2014 में भी इसे बरकरार रखा.


बिहारी बाबू के नाम से लोकप्रिय सिन्हा ने पटना साहिब से तीसरी बार जीत दर्ज करने का पूरा भरोसा जताया है. सिन्हा ने कहा, ‘‘मैंने पूर्व के दो चुनावों में इस सीट से बिहार में सबसे अधिक अंतर से जीत दर्ज की है. ऐसा लोगों का मेरे लिए प्यार के चलते हुआ. मैं आदतन पार्टी बदलने वाला नहीं हूं. जिन परिस्थितियों में मुझे भाजपा छोड़नी पड़ी वह सबको पता है.


सिन्हा 1990 दशक के शुरुआती वर्षों से भाजपा से जुड़े थे, भाजपा नेतृत्व के साथ उनके मतभेद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके करीबी अमित शाह के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद शुरू हुए सिन्हा ने भाजपा में रहते हुए कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था.


सिन्हा ने कहा सिंबल भले ही बदला सम्मान-स्नेह वही है वही सबको खामोश कराने वाले शत्रुघ्न सिन्हा जब चुनाव प्रचार में निकलते हैं, तो पटना साहिब की आम-अवाम उनकी एक झलक पाने को बेताब दिखती है भले ही इसबार कमल की जगह कांग्रेस के ‘हाथ’ छाप पर मैदान में उतरे हैं लेकिन जनसम्पर्क के दौरान पटना जिले के लोग उन्हें वही प्यार-सम्मान और स्नेह दे रहे है 


19 मई को मतदान में क्या होगा इसकी चिन्ता न शत्रुघ्न सिन्हा और न ही उनके समर्थकों में दिखती है. हां, हर सभा में शत्रुघ्न सिन्हा के निशाने पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष ही होते हैं.