GK: भारतीय राजनेता सफेद पोशाक ही क्यों पहनते हैं, आखिर कहां से हुई इसकी शुरुआत? जानिए
Indian Politicians Attire: देश के हर गांव-कस्बे से लेकर हर राज्य में आपने उन लोगों को अक्सर सफेद वेशभूषा में ही देखा होगा, जो राजनेता है या तो बनना चाहता है या फिर नेता दिखना चाहता है. कुछ तो आपके जानने वाले या घर के लोग भी होंगे.
Why Politician Wear Only White Clothes: हमारे देश में यूं तो अनेकता में एकता देखने को मिलती है, लेकिन यहां कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर खान-पान, बोली और वेश भूषा बदल जाती है. इसके बावजूद भी यहां भारत भर में एक चीज में समानता देखी जा सकती और वो है भारतीय राजनेताओं की सफेद पोशाक. ऐसे लोग इसने सारे विकल्प होने के बावजूद सफेद कुर्ता-पायजामा, धोती या लूंगी पहनते हैं.
ठीक उसी तरह राजनीति के दंगल में उतरने वालीं ज्यादातर महिलाएं भी या तो सफेद सूट या फिर साड़ी में ही नजर आती हैं, लेकिन क्या कभी आपके ज़ेहन में यह सवाल आया कि आखिर इसकी शुरुआत कहां से हुई? दुनिया-भर के राजनेता जहां ब्लैक सूट-बूट में नजर आते हैं, तो किसने कहा कि इंडियन पॉलिटिशियन केवल ब्राइट अटायर में ही रहेंगे? आज हम इस आर्टिकल के जरिए देंगे ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब...
शांति और सुकून देने वाला है श्वेत रंग
रंग केवल जीवन में सुंदरता ही नहीं लाते, बल्कि व्यक्ति पर अपना गहरा प्रभाव डालते हैं. हर रंग किसी विशेष गुण से संबंधित है. सफेद रंग शांति, शुद्धता और विद्या का प्रतीक माना जाता है. यही वजह होगी कि किसी अपने की मृत्यु होने पर लोग सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं, ताकि मन को शांति मिले. यूं तो सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है.
वहीं, भारत में अगल-अलग मजहब के लोग रहते हैं, जिनमें सफेद रंग का महत्व भी अलग-अलग होता है. हिंदू धर्म के मुताबिक ज्ञान की देवी सरस्वती के परिधान भी सफेद रंग के ही है. वहीं, कुछ मान्यताओं के मुताबिक कपड़े मातम के लिए होते हैं. अब यहीं से एक सवाल जन्म लेता है कि जब सफेद कपड़े मातम के लिए होते हैं, तो फिर भारत के नेता हमेशा सफेद कपड़े क्यों पहनते हैं?
इस वजह से भारत में नेता पहनते हैं सफेद कपड़े
इस सवाल का जवाब मिलता है भारत की आजादी के लिए हुई लड़ाई में. स्वतंत्रता आंदोलन के समय जब बापू ने स्वदेशी का नारा दिया तो लोगों ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई. व्यापक रूप से कपड़ों को इकट्ठा करके उन्हें आग के हवाले कर दिया गया. यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने ही मेक इन इंडिया की सोच को जन्म दिया. महात्मा गांधी ने देशवासियों को चरखे से बने खादी के कपड़े पहनने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि बापू इसे स्वालंबन का प्रतीक था.
ये कपड़े देश में देश के लोगों द्वारा तैयार किए जाते थे, यह देश के लिए आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार था, ताकि आजादी मिलने से पहले भारतीयों को गुलाम मानसिकता से आजादी मिल सके. वहीं, खादी से तैयार होने वाले कपड़े ज्यादातर सफेद रंग के होते थे. इस तरह उस वक्त आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों ने इसे अपनाया और धीरे-धीरे यह रंग नेताओं की पहचान बन गया. तब से लेकर आज तक राजनेता सफेद कपड़े में ही नजर आते हैं.
सफेद कपड़े पहनने के पीछे कुछ और भी हैं कारण
सफेद रंग को सत्य और अहिंसा का प्रतीक भी माना जाता है. जबकि, कुर्ता, पायजामा, धोती, टोपी, सूट और साड़ी भारतीय पारंपरिक परिधान हैं. यह रंग बहुत ज्यादा अपीलिंग होता है. सफेद रंग का कुर्ता पायजामा पहनते पर आपमें सादगी दिखाई देती है.
यह आपको लीडरशीप का अहसास कराता है. सफेद रंग के कपड़ों में कोई कम या ज्यादा रुतबे वाला नहीं लगता. आपको कहीं न कहीं भिन्नता का अहसास नहीं होता देता. यही वजह है कि हर भारतीय नेता और ज्यादातर समाज सेवी सफेद रंग की वेशभूषा ही पहनते हैं.