Dhaincha Farming: आजकल देश के किसानों को उन्नत बनाने के लिए खेती में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. हर फसल के बाद मिट्टी को खोई हुई शक्ति लौटाने के लिए तमाम तरह के उर्वरक भी मार्केट में उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल अब ज्यादातर किसान करने लगे हैं, लेकिन इनमें वो बात नहीं होती. ऐसे में मिट्टी के सही ट्रीटमेंट के लिए आज भी पुराने तरीके ही काम आते हैं. इनमें से ही एक है खेतों में ढैंचा लगाना और इसकी हरी खाद (Green Manure) तैयार करने का तरीका.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, पहले दलहनी फसलों की बुवाई से पहले खेतों में ढैंचा बोया जाता था, ताकि खेत की उर्वरा शक्ति कम न हो. वहीं, इससे खेतों में नाइट्रोजन की पूर्ति होती है और पौधों को भरपूर पोषण मिलता है. आज यहां जानेंगे कि ढैंचा की खेती कैसे की जाती है (How to do Dhaincha Farming) और कैसे इससे तगड़ा मुनाफा कमाया जाए. 


नेचुरल खाद का काम करती है ढैंचा की फसल
ढैंचा की फसल आपके खेतों के लिए किसी चमत्कारी औषधि से कम नहीं है. आपको बता दें कि देश के कई राज्य तो ऐसे भी हैं जहां ढैंचा की खेती के लिए सरकारें सब्सिडी भी देती हैं, क्योंकि यह नेचुरल खाद का काम करती है, जिससे किसान रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कम करते हैं. ये तो सभी जानते हैं कि रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से खेतों को तो नुकसान हो ही रहा है. इनके इस्तेमाल से प्राप्त पैदावार जैसे अनाज, दालें, फल और सब्जियां आदि के सेवन से हमारे अंदर कई तरह की बीमारियां जन्म ले रही हैं.


ऐसे होती है ढैंचा की खेती
आमतौर पर ढैंचा की खेती किसी भी सीजन में की जा सकती है, लेकिन ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान इसे खरीफ के सीजन में बोते हैं. बुआई से पहले खेत को अच्छे से जोतना बहुत जरूरी है. इसकी बुआई सरसों की तरह लाइनों में या फिर छिड़काव विधि से की जाती है. अगर आपका मकसद सिर्फ ढैंचा से हरी खाद बनाने का है तो खेत को सिर्फ एक बार जोतकर उसमें ढैंचा छिड़काव विधि से बो सकते हैं.


इसकी खेती में इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पानी बिल्कुल भी ना रुके, वरना इसकी पैदावार प्रभावित होगी. वहीं, अगर आप ढैंचा की खेती कर रहे हैं तो आप इसकी बुवाई लाइनों में भी कर सकते हैं, जिससे अच्छी पैदावार मिल सके. इसके लिए आप ड्रिल मशीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 


कई तरह से काम आती है ढैंचा
आपको इसकी फसल में 4 से 5 बार सिंचाई करना पडे़गा. बेहतर पैदावार के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई का भी ध्यान रखें. इसके अलावा फसल को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करें, ताकि अच्छी पैदावार मिले. ढैंचा की फसल करीब 4 से लेकर 5 महीने में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है.


इसकी फलियों को तोड़कर धूप में सुखा लिया जाता. इसके बाद मशीन के जरिए इन फलियों से बीजों को अलग कर लिया जाता है. ढैंचा की बची हुई सूखी फसल का इस्तेमाल भी किया जाता है. कई जगह इसे ईंधन के रूप में उपयोग करते हैं. टाट बांधने या सब्जियों के खेतों में पौधों को हल्की छांव देने में भी ढैंचा की सूखी फसल का उपयोग किया जाता है. 


ढैंचा से कमाएं लाखों का मुनाफा
एक एकड़ में ढैंचा की खेती में बुवाई के लिए आपको करीब 10-15 किलो बीजों की जरूरत पडे़गी. एक एकड़ से करीब 25 टन तक की पैदावार मिल सकती है. ढैंचा के बीज लगभग 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मार्केट में बिक जाते हैं. इस तरह से किसान ढैंचा की फसल से करीब 10 लाख रुपयों में बेच सकते हैं. 


खेतों के लिए नेचुरल खाद 
ढैंचा से हरी खाद बनाने के बहुत फायदे हैं. इस हरी खाद से मिट्टी को जरूरी नाइट्रोजन मिलती है. सबसे पहले तो इसे उसी खेत में बोया जाता है, जिसमें हरी खाद की जरूरत है. इसके पौधे डेढ़ से दो फुट के हो जाते हैं तो खेत की मिट्टी को जुताई की मशीनों से पलट दिया जाता है. इससे ढैंचा के सभी पौधे मिट्टी में दब जाते हैं और हरी खाद बन जाते हैं.