Fixed Deposits: फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सबसे सुरक्षित वित्तीय निवेशों में से एक है और कई भारतीय लोगों को यह पसंद भी है. फिक्स्ड डिपॉजिट टैक्स बचाने की दिशा में भी निवेश का एक अच्छा तरीका है और लोगों को सुरक्षित निवेश का विकल्प भी एफडी की ओर से प्रदान किया जाता है, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं. ऐसे में आज हम यहां आपको एफडी के नुकसान के बारे में बताने वाले हैं...


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ब्याज पर टैक्स


एफडी जमा पर प्राप्त सभी ब्याज पर पूरी तरह से टैक्स लगाया जाता है. जब आप आयकर रिटर्न में अपना आईटीआर फाइल करते हैं तो आय को "अन्य स्रोतों से आय" शीर्षक के तहत दर्शाया जाता है. अन्य वित्तीय साधन उपलब्ध हैं, जो आपको कर-मुक्त बचत का लाभ प्रदान करते हैं. पीपीएफ और सरकारी बॉन्ड उनमें से कुछ हैं.


                                                                                                                                                                                                             


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टीडीएस


एफडी से मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस लगता है. बैंक इसे प्रत्येक वर्ष के अंत में अर्जित ब्याज से घटाते हैं. हालांकि, जमाकर्ता के पास टीडीएस से बाहर निकलने और परिपक्वता पर सभी ब्याज का भुगतान करने का विकल्प होता है. फॉर्म 26एएस, जमाकर्ता के पैन कार्ड से जुड़ा हुआ है और एफडी के लिए किए गए सभी टीडीएस कटौतियों को दिखाता है.


कम ब्याज दर
एफडी में सामान्य लोगों को काफी कम ब्याज दर मिलती है. म्यूचुअल फंड सहित अन्य निवेश की तुलना में एफडी काफी कम रिटर्न की पेशकश करता है. वहीं म्यूचुअल फंड में जहां 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है तो दूसरी तरफ एफडी सामान्य लोगों को 7 फीसदी से भी कम रिटर्न देता है. कई बैंक तो एफडी पर 5 फीसदी ही सालाना रिटर्न देते हैं. हालांकि म्यूचुअल फंड में जहां जोखिम है तो वहीं एफडी सुरक्षित मानी जाती है.


ब्याज दर महंगाई से कम
ऐसी भी संभावना है कि एफडी में मिलने वाली ब्याज दर महंगाई की दर से भी कम हो. कभी-कभी महंगाई दर एफडी की ब्याज दर से भी अधिक हो सकती है. ऐसे में जो लोग महंगाई से निपटना चाहते हैं और अच्छा रिटर्न कमाना चाहते हैं उनके लिए एफडी किसी काम की नहीं है.