Crude Oil: रूस में भारत का अरबों रुपया फंसा हुआ है. इसकी जानकारी अब सामने आई है. जिसके लेकर तेल कंपनियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, भारतीय पेट्रोलियम कंपनियां रूस में फंसे 60 करोड़ डॉलर के अपने डिविडेंड से रूस से ही कच्चा तेल खरीदने की संभावनाएं तलाश रही हैं. भारत की शीर्ष चार पेट्रोलियम कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड की एक इकाई, ऑयल इंडिया लिमिटेड और ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) रूसी तेल और गैस क्षेत्रों में अपने निवेश से अर्जित डिविडेंड इनकम को नहीं ला सकी हैं.


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भारत नहीं आ सका पैसा
वह पैसा रूस में उनके बैंक खातों में पड़ा हुआ है. यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के जरिए रूस पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के कारण इस राशि को भारत नहीं लाया जा सका है. भारत के लिए रूस इस समय कच्चे तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है. भारत की कच्चे तेल की कुल खरीद में रूस की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत से अधिक है.


कच्चा तेल
अधिकारियों ने कहा कि एक विकल्प यह है कि रूसी बैंकों के खातों में पड़े पैसे को कच्चा तेल खरीदने वाली कंपनियों को लोन के रूप में दिया जा सकता है. ये इकाइयां भारत में लोन चुका सकती हैं. रूस से कच्चा तेल खरीदने वाली कंपनियों में आईओसी और बीपीसीएल भी शामिल हैं. एक अधिकारी ने कहा, “हम इस कदम को लेकर कानूनी और वित्तीय प्रावधान देख रहे हैं. हम प्रतिबंधों के प्रति सचेत हैं और ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहते जिससे किसी भी तरह के उल्लंघन का मामला बनता हो.’’


अलग-अलग संपत्तियों में हिस्सेदारी
भारत की सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में चार अलग-अलग संपत्तियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया है. इनमें वेंकोरनेफ्ट तेल और गैस क्षेत्र में 49.9 प्रतिशत हिस्सेदारी और टीएएएस-यूर्याख नेफ्टेगाजोडोबाइचा क्षेत्रों में 29.9 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है. उन्हें इन क्षेत्रों को परिचालन करने वाले गठजोड़ को तेल और गैस की बिक्री से हुए मुनाफे में हिस्सा मिलता है. (इनपुट: भाषा)