Banking: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जल्दी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के प्रमुखों के साथ बैठक कर कामकाज की समीक्षा कर सकती हैं. वित्तीय समावेश और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कर्ज जरूरतों को पूरा करने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तरफ से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को दिए गए किसान क्रेडिट कार्ड के संदर्भ में प्रगति की समीक्षा करेंगी. अधिकतम संख्या में किसानों को केसीसी ऋण का लाभ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दो लाख करोड़ रुपये के क्रेडिट प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक विशेष अभियान शुरू किया गया था. इसका मकसद किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 2.5 करोड़ किसानों को लाना था. वह कुछ कमजोर आरआरबी की पूंजी स्थिति की भी समीक्षा कर सकती हैं.


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फंसे कर्ज में कमी
सूत्रों ने कहा कि बैठक में जिन अन्य मुद्दों पर चर्चा किये जाने की संभावना है, उसमें आरआरबी के प्रौद्योगिकी उन्नयन की आवश्यकता, एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) यानी फंसे कर्ज में कमी के लिए रणनीति, आईटी पहल, वित्तीय समावेश में सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज वितरण को बढ़ाना शामिल हैं. आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत इन बैंकों का गठन गांवों में छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था. फिलहाल आरआरबी में केंद्र की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है. जबकि संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों की हिस्सेदारी क्रमश: 35 और 15 प्रतिशत है.


सरकारी योजनाएं
इससे पहले दिन में सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन की समीक्षा की. साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में बैंकों की प्रगति का जायजा लिया. इन योजनाओं में पीएम स्वनिधि (रेहड़ी-पटरी वालों के लिये पीएम आत्मनिर्भर निधि), स्टैंड अप इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, अटल पेंशन योजना और कोविड-19 से प्रभावित इकाइयों की मदद के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) शामिल हैं.


बैंकिंग सिस्टम
सूत्रों ने कहा कि बैठक में बैंकों की कर्ज वृद्धि, संपत्ति गुणवत्ता और कारोबार वृद्धि योजना की भी समीक्षा की. इसके अलावा गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) और उसकी वसूली की भी चर्चा हुई. हाल में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां यानी फंसा कर्ज इस साल मार्च में घटकर 10 साल के निचले स्तर 3.9 प्रतिशत पर आ गया है.


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