EPF (Employees’ Provident Fund) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के जरिए प्रदान की जाने वाली एक सेवानिवृत्ति लाभ योजना है. कर्मचारी और नियोक्ता मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 12% के बराबर अनुपात में मासिक आधार पर EPF योजना में योगदान करते हैं. ईपीएफ एक कर-बचत साधन है जो निवेश पर अपेक्षाकृत अधिक ब्याज दर प्रदान करता है. नियोक्ता के योगदान का एक हिस्सा (12% में से 8.33%) कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में डाला जाता है.


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ब्याज दर


ईपीएफ पर ब्याज दर की सालाना समीक्षा की जाती है. एक बार ईपीएफओ एक वित्तीय वर्ष के लिए ब्याज दर को अधिसूचित करता है और वर्ष समाप्त होता है, तो ब्याज दर की गणना महीने-वार क्लोजिंग बैलेंस और फिर पूरे वर्ष के लिए की जाती है. जिस वर्ष में नई ब्याज दरों की घोषणा की जाती है, वह अगले वित्तीय वर्ष के लिए वैध रहती है यानी एक वर्ष के 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वर्ष से लेकर अगले वर्ष के 31 मार्च को समाप्त होने वाले वर्ष तक यह रहती है.


निष्क्रिय खाता


वहीं ईपीएफ अकाउंट धारकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर 36 महीने लगातार EPF खाते में योगदान नहीं किया जाता है तो खाता निष्क्रिय हो जाता है. जिन कर्मचारियों ने रिटायरमेंट की आयु प्राप्त नहीं की है, उनके निष्क्रिय खातों पर ब्याज की पेशकश की जाती है. रिटायर कर्मचारियों के निष्क्रिय खातों में जमा राशि पर ब्याज नहीं मिलता है.


पेंशन का भुगतान


वहीं सदस्य के स्लैब दर के अनुसार निष्क्रिय खातों पर अर्जित ब्याज कर योग्य है. नियोक्ता द्वारा कर्मचारी पेंशन योजना के लिए किए गए योगदान के लिए कर्मचारी को कोई ब्याज नहीं मिलेगा. हालांकि, 58 वर्ष की आयु के बाद इस राशि में से पेंशन का भुगतान किया जाता है.


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