Income in India: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने भारत के दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को एक 'असरदार कामयाबी' बताने के साथ ही कहा कि देश की प्रति व्यक्ति आय को भी तेजी से बढ़ाने की जरूरत है. रंगराजन ने आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन के 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी खत्म होने और रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में देश के भावी विकास के लिए एक स्पष्ट खाका तैयार करने की जरूरत है. इस दिशा में आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाना सबसे पहला और अहम काम होगा.


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दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था


उन्होंने कहा, "भारत का दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाना एक असरदार कामयाबी है. लेकिन प्रति व्यक्ति आय के नजरिये से देखें तो दूसरी तस्वीर ही नजर आती है. वर्ष 2020 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत 197 दे्शों में 142वें स्थान पर था. यह दर्शाता है कि अभी हमें कितना लंबा सफर तय करना है." रंगराजन ने इस सफर में वृद्धि को अहम बताते हुए कहा, "हमारे पास प्रति व्यक्ति आय के मौजूदा स्तर को देखते हुए तेजी से बढ़ने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है."


अर्थव्यवस्था के स्तर में बदलाव


उन्होंने कहा कि अगर देश अगले दो दशक या उससे अधिक समय तक प्रति वर्ष सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करता है तो अर्थव्यवस्था के स्तर में खासा बदलाव हो सकेगा और भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा भी हासिल कर सकता है. उन्होंने भारत के लिए हाल में सामने आईं नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी दिखाने और इसके अनुरूप कुशल श्रमिकों का विकास करने को महत्वपूर्ण बताया.


रोजगार परिदृश्य में बदलाव की संभावना


हालांकि, उन्होंने नई प्रौद्योगिकी की वजह से रोजगार परिदृश्य में बदलाव की संभावना भी जताई. रंगराजन ने कहा, "बढ़ी हुई वृद्धि से रोजगार भी पैदा होने चाहिए. वृद्धि के बगैर रोजगार संवर्द्धन भी टिकाऊ नहीं है. इसीलिए हमें न्यूनतम सात प्रतिशत की टिकाऊ आर्थिक वृद्धि दर को लक्ष्य बनाना चाहिए." इसके साथ ही उन्होंने वृद्धि के समान वितरण पर भी जोर देते हुए कहा कि विकास की रणनीति बहुआयामी होनी चाहिए. (इनपुट: भाषा)