दिल्ली: नागरिकता कानून पर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगा रही है. इसी पर राहुल गांधी को चुनौती देते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी इस कानून की दस लाइन भी नहीं जानते हैं. नड्डा ने कहा कि मैं राहुल से कहना चाहता हूं कि वह नागरिकता संशोधन कानून के प्रावधानों पर केवल 10 लाइन बोल दें. वह बस दो लाइन उन प्रावधानों पर भी बोलकर दिखाएं जिनसे तथाकथित तौर पर देश का नुकसान हो रहा है.
हिंसा के खिलाफ राहुल एक शब्द भी नहीं बोले: नड्डा
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच विचारधारा की लड़ाई हो सकती है. राहुल की सीमित बुद्धि के कारण किसी विषय पर विचार हमसे अलग हो सकते हैं लेकिन यह कहां तक उचित है कि आप हिंसा पर एक भी शब्द नहीं बोलें और उसे उकसाने वाली बातें कहें. नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून पर जनता को गुमराह करते हुए एक वर्ग विशेष के लोगों को उकसा रही है.
विभाजन का इतिहास पढ़ें राहुल
जेपी नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी इस सवाल का भी जवाब दें कि क्या उन्होंने वर्ष 1947 में हुए भारत के विभाजन का इतिहास पढ़ा है. उनके वक्तव्यों से तो कतई नहीं लगता कि उनके दिल में देश के उस बंटवारे का कोई दर्द है जब बर्बर नरसंहार के बीच लाखों लोगों को अपनी जान की सलामती और स्त्रियों को अपनी आबरू बचाने के लिये मातृभूमि को अचानक छोड़ना पड़ा था. कांग्रेस इसकी जिम्मेदार थी.
नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में कांग्रेस की राजनीति
CAA और NRC की आड़ लेकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी लगातार सियासी सवारी कर रहे हैं. इस बार उन्होंने CAA पर हो रहे प्रदर्शन को हथियार बनाते हुए नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह देश के लोगों को बांट रहे हैं. और इसी के साथ वो अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए नफरत के पीछे छिप रहे हैं.
मनमोहन सिंह ने की थी नागरिकता देने की मांग
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी. उस वक्त राज्यसभा सदस्य मनमोहन सिंह सदन में नेता विपक्ष थे. सदन में मौजूद तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को संबोधित करते हुए सिंह कहते हैं, 'मैं शरणार्थियों के संकट को आपके सामने रखना चाहता हूं। बंटवारे के बाद हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर नागरिकों का उत्पीड़न किया गया.अगर ये प्रताड़ित लोग हमारे देश में शरण के लिए पहुंचते हैं तो इन्हें शरण देना हमारा नैतिक दायित्व है.
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