Scissor Found In German grave: हम अपने बुजुर्गों से अक्सर यह सुनते आए हैं कि प्राचीन समय की टेक्नोलॉजी आज के टेक्नोलॉजी से कई गुना ज्यादा विकसित थी. इस बात को सिद्ध करने के लिए गीजा के पिरामिड से लेकर बड़े-बड़े ऐतिहासिक इमारतों के उदाहरण भी दिए जाते हैं. जर्मनी के म्यूनिख में पुरातत्व वैज्ञानिकों का एक ग्रुप कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहा था जहां पर एक कब्र से उन्हें कुछ सामान बरामद हुए. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को साइट पर एक खास प्रकार की कैंची मिली जो करीब 2300 साल पुरानी है. वैज्ञानिकों का दिमाग इतनी पुरानी कैंची को देखकर तब हिल गया, जब उन्होंने कैंची के धार पर नजर डाली.


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कब्र में कैंची कैसे आई?


म्यूनिख के कब्र में पड़ी कैंची की धार एकदम तेज थी और इस पर एक भी जंग का निशान नहीं था. यह कैंची किसी नए कैंची की तरह चमकदार थी. कैंची की धार आज भी ऐसी है कि किसी चीज को तेजी से दो भाग में लग कर सकती है. जर्मनी के म्यूनिख में एक बम निरोधक दस्ता द्वितीय विश्वयुद्ध के जिंदा बमों की खोज कर रहा था कि इस बीच उन्हें एक लकड़ी का डिब्बा मिला जो बेहद कठोर था. यह डिब्बा किसी कब्र की तरह लग रहा था. इसके बाद पुरातत्व वैज्ञानिकों को बुलाया गया. जांच करने पर उन्होंने पाया कि यह डिब्बा दूसरी या तीसरी ईसा से पहले का है.


पुनर्जीवन में भरोसा


आपको बता दें कि दूसरी और तीसरी ईसा पूर्व के दौरान स्लेट्स (प्राचीन समय और उस स्थान के इंसान) में मृत लोगों के अवशेषों को दफनाते हुए उनके सामान को भी उनके साथ ही दफन कर दिया जाता था लेकिन इस क्रिया के पहले मृतक को जलाया जाता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि सेल्ट लोग पुनर्जीवन में विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि मरने के बाद किसी व्यक्ति का दोबारा जन्म होता है. हालांकि इस बारे में कोई बड़ा सबूत अब तक नहीं मिला है लेकिन उनके प्रथाओं से ऐसा प्रतीत होता है. इसलिए मृतकों के साथ उसे सामान भी दफन कर दिए जाते हैं.