Indian Railways: फर्स्ट एसी टिकट बुक करने पर आखिर उसी वक्त क्यों नहीं मिलता सीट नंबर? ये है वजह
First AC ticket Booking: फर्स्ट एसी की टिकट बुक करते वक्त हमें सीट नंबर नहीं मिलते. सीट नंबर की जानकारी गाड़ी चलने के ठीक चार-पांच घंटे पहले पता चलती है, जब संबंधित ट्रेन का चार्ट तैयार हो जाता है. चलिए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है.
Indian Railways First AC Ticket Booking: जब भी हम आईआरसीटीसी (IRCTC) की ऐप पर जाकर टिकट बुक करते हैं तो हमें उसी वक्त ही कंफर्म ट्रेन टिकट की सारी डिटेल्स मिल जाती हैं. स्लीपर, थर्ड एसी और सेकेंड एसी की टिकट बुक करने पर हमें कोच संख्या, सीट नंबर समेत तमाम जानकारियां मिल जाती हैं, लेकिन जब हम फर्स्ट एसी की टिकट बुक करते हैं तो ऐसा नहीं होता. फर्स्ट एसी की टिकट बुक करते वक्त हमें सीट नंबर नहीं मिलते. सीट नंबर की जानकारी गाड़ी चलने के ठीक चार-पांच घंटे पहले पता चलती है, जब संबंधित ट्रेन का चार्ट तैयार हो जाता है. चलिए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है.
फर्स्ट एसी का टिकट बाद में क्यों मिलता है?
दरअसल, भारतीय रेलवे की सभी ट्रेनें; जिसमें फर्स्ट एसी की बोगी होती हैं, उसमें चार और दो सीटों वाले अलग-अलग कम्पार्टमेंट होते हैं. दो सीटों वाले कंपार्टमेंट को कूपे भी कहा जाता है. भारतीय रेलवे सबसे पहले सभी सीटों को भरने का इंजतार करती है और जैसे ही सभी सीटें बुक हो जाती हैं तो सुविधानुसार सभी को सीट उपलब्ध कराती है. कूपे में कपल या फिर दो लोग एक साथ सफर करने वाले लोगों को प्रोवाइड कराते हैं. या फिर कूपे अधिकारी या अपर क्लास जैसे सांसद-विधायक के लिए रिजर्व करते हैं. इसके बाद चार सीटों वाले कंपार्टमेंट में यदि चार लोगों ने एक साथ बुक किया है तो उन्हें देते हैं.
प्रेफरेंस के हिसाब से दी जाती है टिकट
यदि जिन्हें कूपे यानी दो सीटों वाला कम्पार्टमेंट नहीं मिला, उसे चार सीटों वाले कम्पार्टमेंट में दो अन्य कपल के साथ एडजस्ट कर देते हैं. यदि किसी सिंगल शख्स ने फर्स्ट क्लास एसी बुक किया है तो तीन पैसेंजर्स के साथ चार सीट वाले कम्पार्टमेंट में एडजस्ट कर देते हैं या फिर अवेलबिलिटी के हिसाब से टिकट दिया जाता है. यानी रेलवे पहले सभी बुकिंग होने के बाद लोगों के सुविधानुसार बोगी प्रोवाइड कराती है, ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो. फर्स्ट एसी का बंटवारा बुकिंग के अनुसार होता है. अलग-अलग प्रेफरेंस के हिसाब से ही फर्स्ट एसी की टिकट दी जाती है. इसमें रेलवे प्राइवेसी का खास ख्याल रखती है.
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