OMG! टीचर ने अपने कुर्ते पर दिखाई ऐसी मजेदार क्रिएटिविटी, पीछे-पीछे भागे चले आते हैं स्कूली बच्चे
Gujarat Teacher Viral: एक प्राथमिक विद्यालय के टीचर ने टीचिंग के अपने अनोखे तरीकों से लोगों का ध्यान खींचा है. सीखने की इस प्रक्रिया में उनकी रुचि के लिए उनके पास अक्षरों और संख्याओं के साथ अपने सफेद कुर्ते और शर्ट प्रिंट करवाकर छात्रों के साथ जुड़ने का एक क्रिएटिव तरीका है.
Gujarat Teacher: गुजरात के बनासकांठा जिले के एक प्राथमिक विद्यालय के टीचर ने टीचिंग के अपने अनोखे तरीकों से लोगों का ध्यान खींचा है. सीखने की इस प्रक्रिया में उनकी रुचि के लिए उनके पास अक्षरों और संख्याओं के साथ अपने सफेद कुर्ते और शर्ट प्रिंट करवाकर छात्रों के साथ जुड़ने का एक क्रिएटिव तरीका है. कोविड-19 महामारी के बाद ही नीलमभाई चमनभाई पटेल ने एक अनूठी टीचिंग सिस्टम के बारे में सोचा जो गांव के बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ उत्साहित भी करेगी. उनके प्रयासों और लीक से हटकर आइडिया को गांव के अधिकारियों ने मान्यता दी है और उन्हें विभिन्न उपाधियों से सम्मानित भी किया है.
टीचिंग के वक्त कुर्ते पर करते हैं ऐसी क्रिएटिविटी
नीलमभाई बनासकांठा के कांकरेज तालुका में श्री हरिनगर प्राथमिक विद्यालय में टीचर हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पाटन जिले के बालिसाना गांव के रहने वाले हैं और पिछले 16 सालों से बनासकांठा में टीचर के तौर पर काम कर रहे हैं. जिस दिन से उन्होंने एक टीचर की भूमिका निभाई, तब से उन्होंने कई गांवों में एजुकेशन के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कई प्रयास किए हैं. अब तक उनका स्कूल पूरे गांव में सबसे बड़ी संख्या में छात्रों को आकर्षित करने में सक्षम रहा है. श्री हरिनगर प्राथमिक विद्यालय में करीब 70 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए किया ऐसा काम
हालांकि, यह लॉकडाउन के दौरान था जब स्कूल बंद थे और सरकार ने ऑनलाइन एजुकेशन की घोषणा की जिसने उन्हें कुछ असामान्य करने के लिए उत्साहित किया. न्यूज 18 की खबर के अनुसार, वह बच्चों को आकर्षित करने का एक तरीका चाहते थे क्योंकि उनमें से अधिकांश पैसों की कमी के कारण डिजिटल क्लासेज तक नहीं पहुंच सकते थे. इन चुनौतियों का सामना करते हुए नीलमभाई पटेल ने सड़कों पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. उन्हें एक नया आइडिया आया और उन्होंने एक कुर्ता बनाया, जिसमें अंग्रेजी के अक्षर, गणित के सूत्र, जिले की स्थानीय जानकारी आदि छपे हुए थे. इसके माध्यम से, उन्होंने बच्चों को क्रिएटिव तरीके से शिक्षा दी, जिसने कई अन्य लोगों को भी आकर्षित किया.
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