भारत का तिरंगा, जिसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाना जाता है, देश की स्वतंत्रता, समृद्धि और विविधता का प्रतीक है. इसके तीन रंग "केसरिया, सफेद और हरा" अपने आप में एक गहरा इतिहास और अर्थ रखते हैं. आइए जानते हैं कि ये तीन रंग ही तिरंगे में क्यों चुने गए और इसके पीछे की कहानी क्या है.


तिरंगे का इतिहास


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भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था. इससे पहले, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी कई प्रकार के ध्वजों का प्रयोग किया गया था, लेकिन भारतीय तिरंगे की संरचना महात्मा गांधी द्वारा सुझाई गई थी. इसका वर्तमान स्वरूप पिंगली वैंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था.


तिरंगे के तीन रंग और उनका महत्व


1. केसरिया रंग (ऊपर का रंग):
केसरिया रंग साहस, बलिदान, और त्याग का प्रतीक है. यह रंग उन तमाम वीर सपूतों को समर्पित है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. यह रंग हमें बताता है कि देश की सेवा में हमें किसी भी प्रकार के त्याग और बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए.


2. सफेद रंग (मध्य का रंग):
सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है. यह रंग हमें याद दिलाता है कि हमारे सभी कार्य सत्य और धर्म के मार्ग पर हों और हमें सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए. सफेद रंग का उपयोग यह भी दर्शाता है कि हमारे देश की नीति हमेशा से शांति और अहिंसा पर आधारित रही है.


3. हरा रंग (नीचे का रंग):
हरा रंग हरियाली, समृद्धि, और विकास का प्रतीक है। यह रंग हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है. साथ ही, यह रंग इस बात का भी प्रतीक है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी समृद्धि का आधार कृषि और किसान हैं.


अशोक चक्र का महत्व


तिरंगे के मध्य में स्थित नीला अशोक चक्र धर्म का प्रतीक है. यह चक्र सम्राट अशोक द्वारा सारनाथ के सिंह स्तंभ पर बनाए गए धर्मचक्र से लिया गया है. इसमें 24 तीलियां हैं, जो 24 घंटों और सतत प्रगति का प्रतीक हैं. यह चक्र हमें निरंतरता और समय के महत्व का भी संदेश देता है.



भारत का तिरंगा मात्र एक ध्वज नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, इतिहास, और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है. इसके तीन रंग हमें साहस, शांति, और समृद्धि की दिशा में प्रेरित करते हैं. तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है, जो हमें देश की सेवा और उसकी प्रगति के लिए हमेशा तत्पर रहने की प्रेरणा देता है.