South China Sea: चीन के नापाक इरादें किसी से छिपे नहीं है. पड़ोसी देशों के प्रति उसके खतरनाक मंसूबें अक्सर सामने आ जाते हैं. अब चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के उस द्वीप पर एक हवाई पट्टी का संभवत: निर्माण कर रहा है, जिस पर वियतनाम और ताइवान भी दावा करते हैं. उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से यह जानकारी सामने आई है. पारासेल द्वीप समूह के ट्राइटन द्वीप पर जारी कार्य स्प्रैटली द्वीप समूह पर सात मानवनिर्मित द्वीपों के निर्माण की तरह ही प्रतीत होता है.


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ये मानव निर्मित द्वीप हवाईपट्टियों, गोदी और सैन्य प्रणालियों से युक्त हैं. ट्राइटन द्वीप पर निर्माण कार्य का पैमाना अभी उतना व्यापक प्रतीत नहीं होगा.


चीन सागर पर दावा करता है ड्रैगन
चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, वह इस पर अन्य देशों के दावों को खारिज करता है और उसके दावे को अमान्य करार देने वाले अंततराष्ट्रीय फैसले की अवहेलता करता है.


‘प्लैनेट लैब्स पीबीसी’ से मिली उपग्रह तस्वीरों का ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ ने विश्लेषण किया. इन तस्वीरों में हवाई पट्टी का निर्माण कार्य अगस्त की शुरुआत में होता दिख रहा है. समाचार वेबसाइट ‘द ड्राइव’ ने मंगलवार को उपग्रह तस्वीरों को लेकर सबसे पहले जानकारी दी.


प्रतीत होता है कि रनवे 600 मीटर (2,000 फीट) से अधिक लंबा है, जो ‘टर्बोप्रॉप’ विमान और ड्रोन के लिए काफी होगा, लेकिन लड़ाकू विमान या बमवर्षकों के लिए इतनी लंबाई अपर्याप्त है. इसके अलावा द्वीप पर कंटेनर और निर्माण उपकरण लादे बड़ी संख्या में वाहन भी नजर आ रहे हैं.


ट्राइटन, पैरासेल के प्रमुख द्वीपों में से एक है, जो वियतनाम के तट और चीन के द्वीप प्रांत हैनान से लगभग समान दूरी पर है.


संप्रभुता के दावों पर अमेरिका का कोई रुख नहीं है, लेकिन वह चीन के कब्जे वाले द्वीपों पर अपनी नौसेना के पोतों को ‘नौवहन की स्वतंत्रता’ के तहत नियमित रूप से भेजता रहा है.


चीन का कोई भी जानकारी देने से इनकार
चीन ने द्वीप पर निर्माण कार्य को लेकर कोई जानकारी मुहैया कराने से इनकार कर दिया और केवल इतना कहा कि इसका मकसद वैश्विक नौवहन सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करना है.


चीन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि वह उस महत्वपूर्ण जलमार्ग का सैन्यीकरण कर रहा है, जिसके माध्यम से सालाना अनुमानित पांच हजार अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है. चीन का कहना है कि उसे अपने संप्रभु क्षेत्र में अपनी इच्छानुसार कुछ भी करने का अधिकार है.


चीन ने 1974 में एक संक्षिप्त नौसैनिक संघर्ष में वियतनाम से पारासेल द्वीपसमूह का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था.


(इनपुट - न्यूज एजैंसी - भाषा)