चीन की गीदड़भभकी के जवाब में भारत ने अरब सागर से चलाया ब्रह्मास्त्र
चीन की हर चाल का भारत करारा जवाब दे रहा है. अबकी बार भारत ने ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया है कि चीन टेंशन में आ गया है. अरब सागर में लक्ष्य को तबाह कर देने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल चीन की तमाम गीदड़भभकियों का करारा जवाब है.
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना (Indian Navy) के स्वदेशी स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई (Stealth Destroyer INS Chennai) से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) के सफल परीक्षण ने चीन की टेंशन बढ़ा दी है. इसे भारत और चीन के बीच 8वें राउंड की कोर कमांडर स्तर की बातचीत की संभावना से ठीक पहले चीन की युद्धाभ्यास वाली धमकी के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
ब्रह्मोस नौसेना के लिए ब्रह्मास्त्र
बता दें कि रविवार को अरब सागर (Arabian Sea) में भारतीय नौसेना के स्वदेशी स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. महासागर की लड़ाई में ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के लिए ब्रह्मास्त्र साबित होगी. इसकी तमाम वजह हैं.
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विस्तारित रेंज संस्करण का तीसरा सफल परीक्षण
यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक की स्पीड वाली है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिलाइस प्राइम स्ट्राइक वेपन (Prime Strike Weapon) है. महासागर में किसी भी वॉरशिप से लंबी दूरी तक निशाना लगा सकती है और युद्धपोतों की विजय सुनिश्चित कर सकती है. ब्रह्मोस की मारक क्षमता 400 किलोमीटर से अधिक है. ये ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का तीसरा सफल परीक्षण था.
परीक्षण की टाइमिंग बेहद अहम
इस बार का परीक्षण इसलिए भी खास है क्योंकि चीन ने एक दिन पहले ही हिंद महासागर को लेकर भारत को धमकी दी. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के हवाले से चीन के एक रक्षा विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि भारत ने अगर चीन वार्ता में ताइवान का मुद्दा उठाया तो चीन हिंद महासागर में भारत के खिलाफ एक्शन ले सकता है. इसीलिए आप ब्रह्मोस के इस सफल परीक्षण को चीन के विरुद्ध भारत का समंदर में पराक्रम वाला जवाब भी मान सकते हैं.
चीन को सीधा संदेश
अरब सागर में ब्रह्मोस के सफल परीक्षण से चीन को सीधा संदेश है कि समंदर में चीन खुद को सूरमा समझने की भूल न करे. वैसे, भारत और चीन के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता 19 अक्टूबर को हो सकती है. लेकिन इस बातचीत से पहले ही चीन ने तिब्बत में युद्धाभ्यास करके चाइनीज ताकत दिखाने की कोशिश की.
ची ने की वॉर एक्सरसाइज से डराने की कोशिश?
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीन की PLA ने ये सैन्य अभ्यास 4700 मीटर की ऊंचाई पर किया. ये वॉर एक्सरसाइज़ PLA की तिब्बत थिएटर कमांड की ओर से की गई है. ड्रोन विमानों की मदद से हमले का नकली अभ्यास किया गया. गाइडेड मिसाइल से अटैक की कोशिश की. चीन की तोपों ने बम बरसाए. पीएलए के सैनिकों ने कंधे पर रखकर दागे जाने वाली मिसाइलों का प्रदर्शन किया. चीन की रॉकेट फोर्स ने एक साथ हमला करके पहाड़ी इलाके को तबाह किया.
दबाव बनाने की नाकाम कोशिश
चीन की सेना ने एलएसी (LAC) के पास तिब्बत में वार्ता से पहले मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की नाकाम कोशिश की है. चीन को समझना होगा कि उसकी ये चालें अब काम नहीं आने वाली हैं और अगर चीन ने ज्यादा होशियारी दिखाई तो ब्रह्मोस के अलावा रुद्रम और पृथ्वी 2 मिसाइल भी अपना पराक्रम दिखाने से पीछे नहीं हटेंगी, जिनका भी हाल ही में सफल परीक्षण हुआ है.
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