China backed Mohamed Muizzu Maldives President: मालदीव में विपक्षी उम्मीदवार और चीन समर्थक मोहम्मद मुइजू ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत हासिल की है. मुइजू ने प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (PPM) के उम्मीदवार और भारत समर्थक मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया. राजधानी माले के वर्तमान मेयर मुइजू लंबे समय से चीन के साथ मजबूत संबंधों के पैरोकार रहे हैं. नतीजा आने के बाद राष्ट्रपति सोलिह ने अपनी हार स्वीकार करते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखे एक संदेश में मुइजू को जीत की बधाई देते हुए देश के लोगों को धन्यवाद दिया. वहीं मुइजू ने कहा कि लोगों ने बड़े जोर से और स्पष्ट रूप से अपना फैसला सुना दिया है.


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पीएम मोदी ने दी बधाई


पीएम मोदी ने भारत के समुद्री पड़ोसी देश में चुनाव जीतने वाले कैंडिडेट मुइजू को बधाई दी है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर मुइजू को बधाई एवं शुभकामनाएं. भारत समय-परीक्षणित भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे समग्र सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.'  



भारत और चीन दोनों की थी नजर


मौजूदा राष्ट्रपति सोलिह, जो 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे उन पर मुइजू ने आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को मालदीव में मनमर्जी से काम करने की आजादी दी है. इस बार का चुनाव कितना अहम था उसे इस बात से समझा जा सकता है कि भारत और चीन दोनों यहां के पल-पल के नतीजों पर अपनी निगाह बनाए हुए थे. यह चुनाव एक ऐसे वर्चुअल जनमत संग्रह में तब्दील हो गया था कि किस क्षेत्रीय शक्ति (भारत या चीन) का इस हिंद महासागरीय द्वीपसमूह पर दबदबा कायम होगा. मिहारू न्यूज़ के मुताबिक, मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट मिले थे और मुइजू ने 53% से अधिक वोट हासिल करके शानदार जीत हासिल की है. उन्होंने सोलिह को बड़े अंतर से हराया.


क्या नतीजे भारत के लिए चिंता का विषय?


भारत विरोधी बयानबाजी के बावजूद फिलहाल ऐसा लगता नहीं है कि मुइजू भारत को एक अहम स्थान देने की विदेश नीति को बदलने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. हालांकि ये जरूर हो सकता है कि अब मालदीव में चीन की परियोजनाओं का विरोध कम होने की संभावना है. यानी ये तय हो गया है कि मुइजू की जीत से चीन को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत के बढ़ते प्रभाव के बीच इस रणनीतिक देश के साथ घनिष्ठ संबंधों पर नजर गड़ाए हुए था. भारत और चीन के बीच अपने पड़ोसी देशों के बीच प्रभाव जमाने की होड़ का एक लंबा इतिहास रहा है.



चीन ने शुरू में अपने पर्याप्त वित्तीय संसाधनों और बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से प्रदान किए गए लोन के सहारे उन देशों को अपने प्रभाव में लेते हुए दबाने की कोशिश की थी हालांकि, हाल के कुछ सालों में, भारत इस क्षेत्र में अधिक मुखर हो गया है. उदाहरण के लिए पिछले साल श्रीलंका में आई आर्थिक मंदी के बाद, नई दिल्ली ने अरबों डॉलर की सहायता के साथ कदम बढ़ाया था.


इसी तरह से मालदीव में 2018 में राष्ट्रपति सोलिह के पदभार संभालने के बाद से भारत ने मालदीव में अपनी उपस्थिति का विस्तार करते हुए कई प्रोजेक्ट शुरू किए थे, जो अब्दुल्ला यामीन के बीजिंग समर्थक प्रशासन के अंत का प्रतीक था. 2023 के चुनाव में मुइजू का आरोप था कि सोलिह ने यहां भारत को खुली छूट दे रखी थी.



मुइजू की पार्टी, पीपुल्स नेशनल कांग्रेस, पूरी तरह से चीन समर्थक है. कहा जाता है कि इसे चीन से फंडिंग होती है. ऐसे में मुइजू ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ये तक कह दिया था कि अगर वह राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत गए, तो वह मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटा देंगे और देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे, जो अभी तक भारत के पक्ष में है. मालदीव पूर्व और पश्चिम के बीच मुख्य शिपिंग मार्ग पर स्थित हिंद महासागर में 1,200 मूंगा द्वीपों से बना है.