EXPLAINER: फैमिली में तो सुना था, ये फाइटर जेट्स में क्यों होती हैं जनरेशन, समझिए पूरी ABCD
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EXPLAINER: फैमिली में तो सुना था, ये फाइटर जेट्स में क्यों होती हैं जनरेशन, समझिए पूरी ABCD

Generation of Fighter Jets: फाइटर जेट्स के बारे में पढ़ते या फिर सुनते हुए आपने देखा होगा कि उनकी पीढ़ी या फिर जनरेशन का भी जिक्र आता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह जनरेशन या पीढ़ी क्या होती है?

EXPLAINER: फैमिली में तो सुना था, ये फाइटर जेट्स में क्यों होती हैं जनरेशन, समझिए पूरी ABCD

Generation of Fighter Jets: सोशल मीडिया पर लड़ाकू विमानों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनको लेकर दावा किया जा रहा है कि यह चीन की छठी पीढ़ी के विमान हैं. यह तस्वीरें चीन के एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (AVIC) के ज़रिए नवंबर में झुहाई एयरशो में छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान का अनावरण करने के एक महीने बाद सामने आई हैं. हम इन तस्वीरों या फिर सिर्फ छठी पीढ़ी को लेकर कोई बात नहीं करने वाले. हम आज आपको बतांगे कि लड़ाकू विमानों के संदर्भ में 'पीढ़ी' का मतलब क्या होता है? प्रत्येक पीढ़ी में क्या शामिल है, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

सबसे पहले विमान पीढ़ियों की अवधारणा 1990 की दहाई में सामने आई थी. इसलिए इसे इस अवधि से पहले आए लड़ाकू विमानों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू किया गया है. उल्लेखनीय रूप से ये पीढ़ियां सिर्फ जेट विमानों को संदर्भित करती हैं न कि उनसे पहले के प्रोपेलर-चालित लड़ाकू विमानों को. दूसरी बात यह है कि 'पीढ़ी' का गठन करने वाली कोई मानक परिभाषा नहीं है. क्योंकि कुछ लोगों ने 'पीढ़ी 3.5' या 'पीढ़ी 4.5' जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया है. 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक पीढ़ियों का इस्तेमाल एक अनुमान लगाने के तौर पर किया जाता है ना कि किसी विमान की ताकत का आंकने के लिए. एक ही पीढ़ी के सभी विमान एक जैसे नहीं सकते और किसी देश की हवाई ताकत का माप सिर्फ इस बात पर तय नहीं होता कि उसके पास किस पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं. लड़ाकू विमानों में पीढ़ीगत बदलाव तब होता है जब किसी निश्चित तकनीकी नवाचार को अपग्रेड और पूर्वव्यापी फिट-आउट के माध्यम से मौजूदा विमान में शामिल नहीं किया जा सकता है - पांच पीढ़ियां (अब तक) वर्तमान में लड़ाकू विमानों की पांच पीढ़ियां हैं जो सर्विस में हैं (या अतीत में थीं), छठी पीढ़ी के जेट इस समय अभी बन रहे हैं.

➤ पहली पीढ़ी

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पहली पीढ़ी के फाइटर जेट्स में साधारण उपकरण होते थे और कोई सिक्योरिटी सिस्टम भी नहीं होता. कुछ विमानों में सिर्फ बेसिक रडार लगाए गए थे. इनमें मशीन गन, तोप और बिना गाइडेड बम या रॉकेट लगाए जाते थे. इन्हें इंटरसेप्टर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था और ये सिर्फ नजदीकी लड़ाई के लिए सक्षम थे. ये विमान ज्यादातर दिन के समय ही उड़ सकते थे. इस समय जमीनी हमले वाले विमान अभी भी पिस्टन इंजन और प्रोपेलर का उपयोग करते थे. 

जैसे- मैसर्सचमिट मी 262, उत्तरी अमेरिकी 5-86 सेबर, मिकोयान-गुरेविच मिग-15, हॉकर हंटर.

➤ दूसरी पीढ़ी

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दूसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों ने 1950 और 1960 की दहाई में नई तकनीकों के साथ तरक्की की. इन विमानों में मजबूत इंजन और आफ्टरबर्नर लगे थे, जिससे ये सुपरसोनिक रफ्तार (आवाज की गति से तेज) से उड़ने में सक्षम हो गए. तेज रफ्तार पर बेहतर स्थिरता और कंट्रोल के लिए इनका डिज़ाइन बेहतर था. दूसरी पीढ़ी के विमानों में बेहतर रेडार सिस्टम लगाए गए, जिससे पायलट लक्ष्य को दूर से देख और ट्रैक कर सकते थे. कुछ विमानों में बुनियादी इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेज़र (ECM) सिस्टम भी लगाए गए. इस पीढ़ी में पहली बार गाइडेड एयर-टू-एयर मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे दूर से टार्गेट पर हमला करना मुमकिन हुआ. हालांकि, इनमें अभी भी मशीन गन और तोपें लगी रहती थीं. इन विमानों को रात और खराब मौसम में भी उड़ने के लिए डिजाइन किया गया था.

जैसे- F-86 Sabre (अमेरिका), MiG-15 और MiG-17 (सोवियत संघ), Dassault Mystère (फ्रांस)

➤ तीसरी पीढ़ी

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तीसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (1960-1970 के दशक) ने तकनीक और क्षमताओं में और ज्यादा उन्नति की. ये विमान विशेष रूप से बहुमुखी भूमिका निभाने के लिए बनाए गए थे. ये विमान सिर्फ एक भूमिका (जैसे इंटरसेप्टर या ग्राउंड-अटैक) तक सीमित नहीं थे. इन्हें हवाई लड़ाई, बमबारी और दुश्मन की जमीनी संरचनाओं को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया. तीसरी पीढ़ी के विमान बेहतर गाइडेड मिसाइल्स (जैसे एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड) का इस्तेमाल कर सकते थे. पारंपरिक तोपों और मशीन गन के साथ-साथ लेजर-गाइडेड बम और स्मार्ट हथियारों का उपयोग शुरू हुआ. इन विमानों को इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि पायलट जंग के दौरान ज्यादा फैसला ले सकें. तीसरी पीढ़ी के विमानों को किसी भी मौसम में ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया.  ये लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते थे और टैंकर विमानों से हवा में ईंधन भरने में सक्षम थे.

जैसे- F-4 Phantom II (अमेरिका), MiG-21 (सोवियत संघ), Dassault Mirage III (फ्रांस)

➤ चौथी पीढ़ी

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चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (1970 से 1990 के दशक के बीच) वायु युद्ध के इतिहास में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक बने. इन विमानों को रफ्तार, उन्नत तकनीक और एक साथ कई काम करने के लिए जाना जाता है.  फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम ने विमान को ज्यादा फुर्तीला बनाया और पायलट को बेहतर कंट्रोल प्रदान किया. इन विमानों में पारंपरिक गेज की जगह डिजिटल डिस्प्ले और हेड-अप डिस्प्ले का इस्तेमाल हुआ, जिसे ग्लास कॉकपिट कहा गया. चौथी पीढ़ी के विमान आधुनिक गाइडेड हथियारों से लैस थे, जैसे लेजर-गाइडेड बम और एयर-टू-एयर मिसाइल. इनमें उन्नत रडार और सेंसर सिस्टम लगाए गए थे, जो दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम थे. इन विमानों ने सभी मौसमों और दिन-रात के संचालन में महारत हासिल की. कुछ विमानों में शुरुआती स्टेल्थ तकनीक का भी इस्तेमाल हुआ, जिससे दुश्मन के रडार से बचा जा सकता था. 

जैसे- F-16 फाइटिंग फाल्कन (अमेरिका), मिग-29 (सोवियत संघ), मिराज 2000 (फ्रांस), और सुखोई Su-27 (सोवियत संघ) शामिल हैं.

➤ पांचवी पीढ़ी

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5वीं पीढ़ी के विमान 21वीं सदी की हवाई जंगों के लिए तैयार किए गए विमान हैं. पांचवी पीढ़ी के विमान उन्नत स्टेल्थ तकनीक, नेटवर्क-केंद्रित जंगी सिस्टम और उच्च स्तर की स्वायत्तता के लिए जाने जाते हैं. पांचवीं पीढ़ी के विमानों की सबसे बड़ी विशेषता उनकी स्टेल्थ क्षमता है. इन्हें इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये दुश्मन के रडार पर नज़र न आएं. इसकी वजह इनका विशेष आकार और रेडार-शोषक सामान है, जिससे इन्हें पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है. पांचवीं पीढ़ी के विमानों में उन्नत सेंसर फ्यूजन तकनीक का इस्तेमाल होता है. इसमें विभिन्न सेंसरों और रडारों से मिलने वाले डेटा को एक साथ मिलाकर पायलट को एक स्पष्ट और सटीक चित्र प्रदान किया जाता है.

जैसे- अमेरिकी F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II, रूसी सुखोई Su-57 और चीनी J-20 शामिल हैं. 

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