नई दिल्ली: चीन (China) ने अपने सबसे गुप्त और ताकतवर हथियार की कामयाबी जाहिर कर दी है. चीन ने जुलाई के पहले हफ्ते में बिना नौसैनिकों के चलने वाली सबमरीन यानि ड्रोन सबमरीन का सफल परीक्षण किया है. कई देश Unmanned Underwater Vehicles (UUV) बनाने की कोशिश कर रहे हैं पर चीन ने अपने इस हथियार को समुद्र में उतारने का दावा किया है. 


2010 से काम कर रहा था चीन


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चीन ने 2019 में अपनी स्थापना दिवस सैनिक परेड में UUV का प्रदर्शन किया था और इस कार्यक्रम पर 2010 से काम कर रहा है. ये ड्रोन सबमरीन किसी दुश्मन सबमरीन की पहचान कर सकती है, उसका पीछा कर सकती है और उसपर हमला कर सकती है और ये सब बिना किसी सैनिक के होगा. ऐसा ही एक UUV पिछले दिसंबर में इंडोनेशिया के उन द्वीपों के पास मिला था जहां से दक्षिण चीन सागर से हिंद महासागर का समुद्री रास्ता है. हालांकि तब चीन ने इस UUV से कोई संबंध होने से इंकार किया था.


इन खूबियों से लैस है सबमरीन


चीन के हारिबन इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के चाइनीज सबमरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर लियांग गुओलॉंग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि ड्रोन सबमरीन ने समुद्र में एक तय जगह पर 10 मीटर की गहराई में कामयाबी के साथ गश्त लगाई. प्रो. गुओलॉंग ने दावा किया कि ये सबमरीन कुछ और सुधार के बाद एक समूह के तौर पर दुश्मन के जहाजों और सबमरीन के खिलाफ तैनात की जा सकती हैं. ये सबमरीन दुश्मन की सबमरीन की दिशा, रफ्तार के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से खुद फैसला लेने में सक्षम है.


दक्षिण चीन सागर की गहराई में रिसर्च सेंटर की तैयारी


माना ये भी जाता है कि चीन बिना नौसैनिकों के चलने वाले जंगी जहाज, सीप्लेन यहां तक कि दक्षिण चीन सागर की गहराई में रिसर्च सेंटर भी बना रहा है. जुलाई 2018 में शेनयांग इंस्टीट्यूट ऑफ आटोमेशन के डायरेक्टर ने भी एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करके समुद्र में निगरानी, सुरंगे बिछाने और दुश्मन पर हमले जैसी कार्रवाई करने वाले ड्रोन विकसित कर रहा है.


अमेरिका भी नहीं बना पाया है ऐसी सबमरीन


चीन पिछले दो दशक से UUV की रिसर्च पर काफी पैसा खर्च कर रहा है. चीन ने 2019 की सालाना सैनिक परेड में ऐसी दो सबमरीन का प्रदर्शन किया था जिसे उसने HSU-001 नाम दिया है. तब विशेषज्ञों का मानना था कि समुद्र के अंदर रोबोट की तरह काम करने वाली सबमरीन बनाना और उसका सैनिक इस्तेमाल करना बहुत मुश्किल तकनीकी प्रक्रिया है और अब तक अमेरिका भी ऐसी सबमरीन बनाने में कामयाब नहीं हो पाया है लेकिन चीनी UUV के सुराग पिछले साल ही मिलने शुरू हो गए थे. 


महासागर में जासूसी के लिए UUV का इस्तेमाल


दिसंबर 2020 में इंडोनेशिया के सेलायार द्वीपों के पास स्थानीय मछुआरों के एक चीनी UUV मिला था. सैनिक विशेषज्ञों ने मुताबिक ये UUV शेनयांग इंस्टीट्यूट में बनाया गया था जिसे एक चीनी सर्वे शिप ने एक साल पहले दक्षिण चीन सागर में उतारा था. ये UUV समुद्र के अलग-अलग जगहों के तापमान, लहरों की रफ्तार जैसे आंकड़े एकत्र कर रहा था. जिस जगह ये UUV मिला वो दक्षिण चीन सागर से हिंद महासागर आने के दो मार्गों सुंडा स्ट्रेट और लोम्बोक स्ट्रेट के पास है, यानि चीनी नौसेना हिंद महासागर में जासूसी के लिए अब अपने UUV का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है.


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ड्रोन और UUV चीन के नए हथियार 


चीन समुद्र में अपनी कमजोरी को दूर करने की हर कोशिश कर रहा है. चीनी नौसेना अपने आपको तेजी से मजबूत कर रही है, सबमरीन और एयरक्राफ्ट कैरियर के अपने बेड़े की ताकत बढ़ा रही है. भारत, अमेरिकी, ऑस्ट्रेलिया और जापान यानी क्वाड कंट्रीज की मिली-जुली नौसैनिक ताकत का मुकाबला करने के लिए चीन हर कोशिश कर रहा है. इसीलिए चीन अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल समुद्र में भी करने की तैयारी में है. ड्रोन और UUV चीन के नए और सबसे खतरनाक हथियार हैं. 


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