LAC के पास चीन के फॉरवर्ड एयरबेस से मुकाबला करने में ऐसे सक्षम है भारत, जानें ये वजहेंं
India-china Border पर जारी तनाव के बीच चीन यहां तक कह चुका है कि दोनों देशों के बीच हालात 5 दशक पहले हुए युद्ध जैसे बन रहे हैं. इस दौरान भारत न केवल पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है बल्कि खुद को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार कर रहा है.
नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा (India-china Border) पर जारी तनाव के बीच चीन यहां तक कह चुका है कि दोनों देशों के बीच हालात 5 दशक पहले हुए युद्ध जैसे बन रहे हैं. इस दौरान भारत न केवल पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है बल्कि खुद को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार कर रहा है. ऐसे में यह जानना रोचक होगा कि आखिर वे कौनसे अहम पहलू हैं, जिनके कारण भारत की स्थिति चीन के आगे मजबूत है और चीन अपने नापाक इरादों को पूरा करने में कैसे जुटा है.
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हॉटन में चुपके से तैनात किया जे -20 फाइटर जेट
ZEE NEWS के सहयोगी चैनल WION में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, हाल ही में सैटेलाइट इमेजों में चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र में हॉटन एयरफील्ड में पार्क किए गए 2 जे -20 लड़ाकू विमानों को दिखाया गया. इतना ही नहीं चीनी सेना ने कथित रूप से जे -8 लड़ाकू विमानों, ड्रोन और एमआई -17 हेलीकॉप्टरों सहित 36 विमानों को एलएसी के आगे के ठिकानों पर तैनात कर दिया है. हॉवर्ड केनेडी स्कूल के बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के अनुसार, चीन की वायु सेना ने हॉटन, ल्हासा/गोंगागर, नागरी-गुनासा और जिग्ज में अपने ठिकाने बनाए हैं और वहां भी चीन के लड़ाकू विमान तैनात कर दिए गए हैं.
लद्दाख में पैंगोंग त्सो से 200 किमी दूर स्थित है चीनी बेस
खबरों के मुताबिक, चीन ने 2017 में डोकलाम में हुए 73 दिनों के संघर्ष के बाद ही नागरी-गुनासा एयरबेस पर लड़ाकू विमानों की तैनाती शुरू कर दी थी, जो कि लद्दाख में Pangong Tso से सिर्फ 200 किमी दूर है. सेंटर के अनुसार, चीन द्वारा हॉटन, ल्हासा/गोंगागर, नागरी-गुनासा के एयरबेस में नियमित तौर पर PLAAF टुकड़ियों आती रहती हैं. बता दें कि ये सभी ऐसी जगहों पर हैं जो कि कश्मीर, उत्तरी भारत और पूर्वोत्तर भारत में भारतीय लक्ष्यों के बेहद करीब हैं.'
हालांकि यह भी कहा गया है कि एयरबेस के पास 'उनके विमानों के लिए कोई ठोस शेल्टर नहीं है' ऐसे में भारत की ओर से हमले की स्थिति बनने पर वे खासे असुरक्षित हो जाते हैं.
भारत की है मजबूत क्षेत्रीय हवाई स्थिति
रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत में पूर्व और पश्चिम दोनों में ही बड़ी संख्या में हवाई क्षेत्र हैं, ऐसे में कुछ हवाई क्षेत्रों की स्थिति नीचे होने के बाद भी अन्य जगहों से ऑपरेशन जारी रह सकते हैं.'
हालांकि रिपोर्ट यह भी कहती है, 'पाकिस्तान के साथ हुए हालिया संघर्ष ने वर्तमान भारतीय वायुसेना को वास्तविक युद्ध से निपटने का एक अनुभव दिया है.'
पारंपरिक स्थिति में भी मजबूत है भारत
रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है, 'भारत चीन से तुलनात्मक रूप से एक मजबूत पारंपरिक स्थिति में है. वहीं चीन गोला-बारूद की कमी का सामना करने के बाद से अपने भंडार को बढ़ा रहा है'.
हॉटन एयरबेस
चीन अपने जे -10 और जे -11 फाइटर्स के लिए हॉटन एयरबेस का उपयोग करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनीकी रूप से बात करें तो चीन का J-10 फाइटर भारत के मिराज -2000 जैसा है, वहीं भारतीय Su-30MKI कई मायनों में चीन के जे-11 समेत कई थिएटर चाइनीज फाइटर्स से बेहतर है.
ऐसे में तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की ऊंचाई, साथ ही क्षेत्र की कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के चलते चीनी लड़ाकू अपने डिजाइन पेलोड और ईंधन की क्षमता से लगभग आधे हिस्से को ही ले जाने में सक्षम हैं.
भारत की मिसाइलें हैं दमदार
चीन के हवाई जहाजों को बेअसर करने के इस रणनीतिक खेल में भारत की मिसाइलों की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता है क्योंकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय विमान जगुआर आईएस के दो स्क्वाड्रन और मिराज 2000 एच फाइटर्स के एक स्क्वाड्रन के साथ परमाणु बमों से लैस होकर तिब्बती हवाई क्षेत्र तक आसानी से पहुंच सकते हैं.
Rafale बने गेमचेंजर
इन सारी चीजों के अलावा राफेल का वायुसेना में शामिल होना सबसे बड़ा गेम चेंजर साबित हुआ है. एलएसी से महज 200 किलोमीटर दूर अंबाला स्टेशन पर तैनात इन फाइटर्स ने वायु समीकरण ही बदल दिए हैं. रिपोर्टों में कहा गया है कि राफेल को अब एलएसी के साथ एक फॉरवर्ड बेस पर तैनात किया जा सकता है और वे चीन के जे -20 बमवर्षकों के साथ टकरा सकते हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल को लेकर कहा है कि यह सेना के इतिहास में नए युग की शुरुआत है. यह हमारे देश की वायु सेना को और मजबूत बनाएंगे. साथ ही हमारे देश की सुरक्षा पर मंडराने वाले हर खतरे को दूर करेगा.
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