नई दिल्‍ली : भारतीय वायुसेना द्वारा नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को ध्वस्त किए जाने के पूरे ऑपरेशन के दौरान किसी भी पाकिस्‍तानी आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा, जैसा की भारत ने अपनी सैन्‍य कार्रवाई रणनीतिक के तहत ऐसा तय ही किया था. लेकिन पाकिस्‍तान यह दावा कर रहा है कि भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में आम लोग भी हताहत हुए हैं. हालांकि उसका यह दावा पीओके के ही आम नागरिक नकारते दिख रहे हैं कि भारत की कार्रवाई में ऐसा कुछ नहीं हुआ और किसी भी सिविलयन को कोई क्षति नहीं पहुंची.


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दरअसल, पाकिस्‍तानी अखबार डॉन ने अपनी वेबसाइट में एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें उसने स्‍थानीय लोगों को बात की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जाबा में मंगलवार सुबह ग्रामीणों की नींद उस वक्‍त लगातार हुए विस्फोटों से खुल गई. 


एक स्‍थानीय नागरिक ने कहा कि हम पांच बड़े धमाकों की आवाज से उठ गए. उसने आगे कहा कि हरे-भरे खेतों और चीड़ के पेड़ों से घिरी पहाड़ी की ढलान पर बमों ने एक बड़ा गड्ढा बना दिया.


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यह गांव खैबर पख्‍तूनख्‍वा की बालाकोट तहसील में आता है. यही रहने वाले एक अन्‍य व्‍यक्ति मोहम्‍मद जाकिर ने कहा, 'पहले विस्‍फोट के बाद मैं अपने कमरे से यह देखने के लिए बाहर की तरफ से भागा कि हुआ क्‍या है. मैंने तेज रोशनी की एक किरण देखी और मेरी मां ने मुझे जल्‍दी वापस बुला लिया. इसके बाद मैंने तीन अन्य बड़े धमाके सुने. यह एक भयानक जोरदार आवाज थी. मैं आपको समझा नहीं सकता.'


जाकिर ने कहा, उनके घर के सामने लगभग 10 फुट गहरा गड्ढा बन गया, लेकिन उनसे घर को कुछ नहीं हुआ. 


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28 साल के चौधरी शफकत अवैस ने कहा कि पहले मुझे लगा कि भूकंप आया है. इससे मुझे 2005 की याद ताजा हो गई, जिसने बालाकोट और मुजफ्फराबाद को बर्बाद कर दिया था.


एक तेज कंपन की वजह से हमारे घर हिल गए और उसके बाद एयरक्राफ्ट की तेज आवाज आई. मैं सुबह 10 बजे उस जगह पर गया और मैंने देखा दो गड्ढे देखे, जो विस्फोट के फलस्वरूप हुए थे.


कुछ अन्‍य ग्रामीण, जोकि घटना के चश्‍मदीद थे ने पूरा घटनाक्रम बताया. इनमें कुछ तो गोला-बारूद के टुकड़े लेकर आए थे.


कुछ ने पेड़ों में आग लगी देखी. जाकिर हुसैन शाह ने बताया कि वहां कुछ जले हुए पेड़ थे और कुछ नहीं था. एक अन्‍य चश्‍मदीद ने कहा, कुछ पेड़ों में आग लगी हुई थी.