नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख खो चुका पाकिस्तान (Pakistan) अब मीडिया का सहारा लेकर अपनी छवि चमकाने की कोशिश में है. पाकिस्तान और चीन (China) मिलकर एक मीडिया हाउस बनाने की तैयारी में हैं, जिससे ये दोनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने पक्ष में माहौल बनाने के साथ-साथ भारत के खिलाफ दुष्प्रचार तेज कर सकें. पाकिस्तान और चीन के बीच अगली सैनिक बैठक में इस पर अंतिम सहमति बनने की संभावना है. सबसे बड़ी बात ये है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कई भारतीय पत्रकार और लेखकों से भी पाकिस्तान की एजेंसियां संपर्क कर चुकी हैं, और उन्हें अपने साथ काम करने के लिए तैयार कर रही हैं.


'आतंकवादी कहलाते हैं पाकिस्तानी'


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भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिले पाकिस्तानी सेना के एक दस्तावेज में विस्तार से बताया गया है कि पाकिस्तान को अपने खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जनमत से कितना नुकसान हो रहा है. पाकिस्तान के नागरिकों को पूरी दुनिया में आतंकवादी के नजरिए से देखा जाता है और उन्हें अक्सर एयरपोर्ट्स में कड़ी पूछताछ और तलाशी से गुजरना पड़ता है. कई देशों ने पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देना पूरी तौर पर बंद कर दिया है, और पाकिस्तानी पासपोर्ट को संदिग्ध नजरों से देखा जाता है. पाकिस्तान इस स्थिति को बदलने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मीडिया कैंपेंन चलाना चाहता है जिसके लिए पूरा फंड चीन मुहैया कराएगा. पाकिस्तान इस मामले में कितना उत्सुक है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने पिछले साल भी तुर्की के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय चैनल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन ये प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पाया.


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चीन करेगा प्रोजेक्ट के लिए पूरी फंडिंग


पाकिस्तानी सेना के दस्तावेज के मुताबिक, ये चैनल अल-जजीरा और रशिया टुडे की तर्ज पर होगा. फिलहाल इस प्रोजेक्ट में चीन की अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की योजना का जिक्र नहीं किया गया है. लेकिन प्रोजेक्ट को फंड देने के लिए चीन की रजामंदी से जाहिर है कि इस मीडिया हाउस का इस्तेमाल वो भी करना चाहता है. कोरोना संक्रमण के बाद अतंर्राष्ट्रीय स्तर चीन के खिलाफ माहौल बना है, और हाल ही में चीन में हुई पोलित ब्यूरो मीटिंग में चीनी राष्ट्रपति ने भी स्वीकार किया कि उसके कूटनीतिज्ञों द्वारा दुनिया के दूसरे देशों के खिलाफ आक्रामक आरोपों का उल्टा असर पड़ा है. 


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सोशल मीडिया पर भी चलाएगा कैंपेन


इस मीडिया हाउस में टेलीविजन चैनल के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी पाकिस्तान के पक्ष में माहौल बनाने और भारत के पक्ष को कमजोर करने के लिए बड़ी कैंपेन चलाने की योजना है. इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्रकारों और लेखकों को जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है. इस दस्तावेज में बड़ी जानकारी ये है कि भारत और विदेश में रहने वाले कई भारतीय लेखकों, पत्रकारों ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है.


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समर्थन और पैसा पाने के लिए बनाया प्लान


पाकिस्तान लंबे अरसे से खुद को इस्लाम के लिए लड़ने वाला देश बताकर मुस्लिम देशों से पैसे ऐंठता रहा, लेकिन चीन में उइगर मुसलमानों के सामूहिक उत्पीड़न के मामले में उसने कभी भी जबान नहीं खोली. खाड़ी के देशों में भारतीय डिप्लोमेसी कामयाब हो रही है. वहां भारत का प्रभाव बढ़ रहा है. भारत को मुसलमानों पर जुल्म करने वाले के तौर पर पेश करने वाली पाकिस्तान की पुरानी तरकीब अब नाकामयाब हो गई है. इसलिए मुस्लिम देशों से पाकिस्तान को मिलने वाला समर्थन और पैसा दोनों ही कम हो रहा है. 


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भारतीय पत्रकार भी कैंपेन में होंगे शामिल!


अफगानिस्तान से निकलने के बाद अमेरिका को भी पाकिस्तान की उतनी जरूरत नहीं रहेगी. अमेरिका पहले ही चीन के साथ पाकिस्तान के गठजोड़ और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान से नाराज है. इसलिए पाकिस्तान खुद को बचाए रखने के लिए अपनी छवि सुधारने और भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जनमत तैयार करने के लिए नया मीडिया हाउस तैयार करने का नया तरीका आजमा रहा है. सवाल ये है कि कितने भारतीय पत्रकार इस मीडिया हाउस में नजर आएंगे.


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