नई दिल्ली: भारत के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल यानी एलओसी (LoC) पर युद्धविराम (Ceasefire) और शांति का इस्तेमाल पाकिस्तान (Pakistan) अपनी सेना को युद्ध की तैयार करने में कर रहा है. पाकिस्तान इस समय विदेशों से भारी तादाद में स्नाइपर राइफलें, रडार और मिनी यूएवी खरीद रहा है. इसके अलावा पाकिस्तान अपनी मुख्य छावनियों में सैनिक साजो सामान को ठीक-ठाक कर रहा है.


तुर्की से S-250 ड्रोन का सौदा


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पाकिस्तान अपने टैंकों के लिए बड़ी तादाद में थर्मल इमेजिंग साइट खरीद रहा है ताकि वो दिन-रात लड़ाई के काबिल रहे. भारतीय सेना ने इसी साल 15 जनवरी को मिनी ड्रोन के जरिए बड़े इलाके में हमले की अपनी काबिलियत का प्रदर्शन किया था. पाकिस्तान ने इसका जवाब देने के लिए तुर्की से बड़ी तादाद में S-250 ड्रोन खरीदने का सौदा कर रहा है. 


पाकिस्तान ने पिछले साल सितंबर से इनका परीक्षण शुरू किया था और इन्हें PoK में मरी स्थित पाकिस्तानी सेना की 12 वीं डिवीजन में भी आजमाया है. ये 3 घंटे से ज्यादा समय तक आसमान में रह सकते हैं और 25 किमी पीछे तक लाइन तस्वीरें भेज सकते हैं. 


घात लगाकर हमले की तैयारी


पाकिस्तान T 80 टैंकों के लिए थर्मल इमेजिंग साइट खरीद रहा है जिससे ये रात में कार्रवाई कर सकें. पाकिस्तान ने यूक्रेन से 320 T 80 टैंकों का सौदा किया था जो उसे 2002 तक मिल गए थे. ये पाकिस्तान की सेना का मुख्य टैंक है और दुनिया के सबसे अच्छे टैंकों में गिना जाता है. पाकिस्तान अपनी सेना को एलओसी पर भारतीय सैनिकों को घात लगाकर मारने के लिए नई स्नाइपर राइफलों से भी लैस करना चाहता है.


सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान अपने स्पेशल फोर्स के सैनिकों के लिए एक अफ्रीकी कंपनी से 12.7 मिमी कैलिबर की स्नाइपर राइफलें खरीद रहा है. इनका कैलिबर और रेंज दोनों ही बड़ी है और इनका इस्तेमाल पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीमों (BAT) द्वारा किए जाने की संभावना है. बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हाथों हारने के बाद पाकिस्तान अपनी एयर डिफेंस को सुधारना चाहता है. इसके लिए उसने चीन के साथ बड़ी तादाद में रडारों की खरीद के लिए समझौता किया है. इनकी रेंज 100 से 200 किमी तक होगी. ये सारे सौदे फास्ट ट्रैक रूट से किए जा रहे हैं ताकि जल्द से जल्द नए सिस्टम से सेना को लैस किया जा सके. 


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पुराने टैंकों, तोपों को 21 मार्च तक सुधारने और अपग्रेड करने के आदेश 


इसके अलावा पाकिस्तान अपनी सेना और नौसेना को पूरी रफ्तार से युद्ध की तैयारी में लगा चुका है. सभी महत्वपूर्ण सैनिक छावनियों में पुराने टैंकों, तोपों और मशीनगनों को 21 मार्च तक सुधारने और अपग्रेड करने के आदेश दिए गए हैं. एक्सपर्ट टीमों को भेजा गया है जो शेल्फ लाइफ पूरा कर चुके गोला बारूद को दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाने के काम में लग गई हैं.


मुल्तान स्थित पाकिस्तानी सेना की दूसरी कोर में गहमा-गहमी देखी जा रही है. यहीं 'प्राइड ऑफ पाकिस्तान' आर्मी कहलाने वाली 1 आर्म्‍ड डिवीज़न का मुख्यालय है यानी पाकिस्तान अपनी टैंकों की ताकत बढ़ाने के लिए हर कोशिश कर रहा है. भारत के साथ किसी भी युद्ध में पंजाब और राजस्थान के मैदानों में टैंकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. 


पाकिस्तानी सेना और ISI के अफसरों के साथ आतंकियों की बैठक


खारियां में पाकिस्तानी सेना की स्ट्राइक कोर की दो सबसे महत्वपूर्ण डिवीजनों के मुख्यालय हैं. यहां भी सक्रियता बढ़ गई है. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना की रावलपिंडी कोर की 12 डिवीजन के मरी स्थित मुख्यालय में भी बहुत ज्यादा आवागमन देखा गया है. रावलपिंडी स्थित दसवीं कोर कश्मीर से जुड़े सारे ऑपरेशन देखती है चाहे वो सेना के हमले की योजना हो या आतंकवादियों की घुसपैठ. मरी पीओके में पाकिस्तान का मुख्य सैनिक केंद्र है और यहां आतंकवादी गिरोहों के सरगनाओं की पाकिस्तानी सेना और ISI के अफसरों के साथ बैठकें चलती रहती हैं.