‘Make in India’ से America भी घबराया, Biden को चिंता; प्रभावित हो सकता है द्विपक्षीय व्यापार
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‘Make in India’ से America भी घबराया, Biden को चिंता; प्रभावित हो सकता है द्विपक्षीय व्यापार

अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने बड़े बाजार और आर्थिक विकास के तमाम मौकों की वजह से अमेरिकी निर्यातकों के लिए जरूरी बाजार बन गया है, लेकिन जिस तरह से ‘मेक इन इंडिया’ की वजह से भारत में व्यापार को सीमित करने वालीं नीतियां अमल में आई हैं, उससे व्यापारिक संबंध कमजोर होंगे. 

 

फाइल फोटो

वॉशिंगटन: भारत के ‘मेक इन इंडिया’ (Make-in-India) अभियान ने अमेरिका (America) को भी चिंता में डाल दिया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) को लगता है कि यदि भारत इसी तरह ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देता रहा, तो द्विपक्षीय व्यापार प्रभावित हो सकता है. बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस (US Congress) को बताया है कि भारत सरकार की यह नीति अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय व्यापार में बड़ी चुनौतियों को दर्शाती है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में भारत में ‘मेक इन इंडिया’ पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. पीएम मोदी चाहते हैं कि भारत हर क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करे. 

  1. यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव की रिपोर्ट में व्यक्त की चिंता
  2. पीएम मोदी दे रहे हैं मेक इन इंडिया पर ध्यान
  3. पिछले साल भारत ने कम किया आयात 

US Exporters पर पड़ा असर

2021 के लिए व्यापार नीति (Trade Policy Agenda) पर आई रिपोर्ट में यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) ने कहा कि साल 2020 में अमेरिका की तरफ से भारतीय बाजार में पहुंच से जुड़े मुद्दों को सुलझाने की कोशिश जारी रखी गई. ‘मेक इन इंडिया’ पर केंद्रित भारत की व्यापार नीतियों से अमेरिकी निर्यातकों पर भी असर पड़ा है. यूएसटीआर ने सोमवार को यूएस कांग्रेस को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत अपने बड़े बाजार और आर्थिक विकास के तमाम मौकों की वजह से अमेरिकी निर्यातकों के लिए जरूरी बाजार बन गया है, लेकिन जिस तरह से भारत में व्यापार को सीमित करने वालीं नीतियां अमल में आ रही हैं, उससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध कमजोर होंगे. 

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GSP पर चल रही है बातचीत

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन के जरिए आयात कम करने पर जोर देना हमारे द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों की चुनौतियों को जाहिर करता है. गौरतलब है कि 5 जून, 2019 को अमेरिका ने भारत के लिए जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेस (Generalized System of Preferences -GSP) के तहत व्यापार में मिलने वाली विशेष तरजीह को खत्म कर दिया था. तब से इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में बातचीत जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका चाहता है कि भारत कई टैरिफ में कटौती करे और बाजार में अमेरिकी कंपनियों की पहुंच को सुलभ बनाए. इसके अलावा भी दोनों देशों में गैर-टैरिफ बैरियर्स को लेकर भी कुछ विवाद हैं.

अभी UK है टॉप पर

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने 2020 में द्विपक्षीय व्यापार से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर अपनी चिंताएं भारत के सामने रखीं थीं. इसमें बौद्धिक संपदा सुरक्षा एवं क्रियान्वयन, इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स और डिजिटल व्यापार को प्रभावित करने वाली नीतियों के साथ ही कृषि और गैर-कृषि उत्पादों के बाजार में पहुंच जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल रहे. रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन (UK) अमेरिकी सेवाओं के आयात के मामले में टॉप पर है. ब्रिटेन ने 2019 में अमेरिका से 62 अरब डॉलर की सेवाएं ली थीं. जबकि भारत इस मामले में छठवें स्थान पर रहा. भारत ने 29.7 अरब डॉलर का आयात किया. इसी तरह, कनाडा ने 38.6 अरब, जापान ने 35.8 अरब और जर्मनी ने 34.9 अरब डॉलर का आयात अमेरिका से किया था. 

Lactose के निर्यात में आई कमी

USTR ने यह भी कहा कि पिछले साल जुलाई में अमेरिका के ऐतराज के बाद भारत ने लैक्टोज और व्हे प्रोटीन (Lactose and Whey Protein) ला रहे जहाजों को छोड़ दिया था. दरअसल, नई दिल्ली ने अप्रैल 2020 में उत्पादों के साथ डेयरी सर्टिफिकेट अनिवार्य किया था और इसी के अभाव में अमेरिका के कई जहाज रोक दिए थे. इस नियम से पहले तक भारत में अमेरिकी लैक्टोज और व्हे प्रोटीन का निर्यात बढ़ रहा था. साल 2019 में जहां निर्यात 5.4 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया था, वहीं पिछले साल ये महज 3.2 करोड़ डॉलर रह गया.

 

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