इस्‍लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान (Imran Khan) खान भले हिंदू मंदिर (Hindu Temple) पर हुए हमले की निंदा करते हुए उसकी मरम्मत की बात कर रहे हों, लेकिन कट्टरपंथी मुस्लिमों को हमले में कुछ भी गलत नजर नहीं आता. मिल्‍ली यकजेहती काउंसिल (Milli Yakjehti Council-MYC) नामक संगठन खुलकर हमलावरों के पक्ष में आ गया है. 22 धार्मिक, राजनीतिक दलों और संगठनों से मिलकर बनी काउंसि‍ल ने शुक्रवार को गणेश मंदिर में तोड़फोड़ और मूर्तियों को अपवित्र किए जाने की निंदा से इनकार कर दिया.


Attack की जानकारी से किया इनकार
 


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पाकिस्‍तानी अखबार ‘डॉन’ में छपी खबर के अनुसार, जब पत्रकारों ने काउंसिल के न‍वनिर्वाचित प्रतिनिधियों से पंजाब प्रांत में हिंदू मंदिर पर हुए हमले (Attack on Hindu Temple) बारे में पूछा तो उन्होंने ऐसी घटना की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने हमलावरों का समर्थन करते हुए यह जरूर कहा कि बहुसंख्‍यक लोगों के भी अधिकार हैं.


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Hyderabad की करने लगे बात
 


न‍वनिर्वाचित प्रतिनिधियों से जब मंदिर पर हमले के बारे में सवाल किया गया, तो उन्‍होंने हैदराबाद की एक घटना का जिक्र करना शुरू कर दिया. उन्‍होंने कहा कि हैदराबाद में एक मंदिर के सामने मुस्लिम परिवार रहता है. इस इलाके में कई हिंदू परिवार भी रहते हैं. हिंदुओं ने शिकायत करके अधिकारियों से कहा था कि मंदिर के सामने गाय की कुर्बानी को अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए. हम यह बताना चाहते हैं कि बहुसंख्‍यक लोगों के भी कुछ अधिकार हैं. 


India- Israel के सवाल पर बदला सुर
 


काउंसिल के अबुल खैर जुबैर (Abul Khair Zubair) ने आगे कहा कि शरिया कानून और संविधान के तहत अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकार सुरक्षित हैं, लेकिन बहुसंख्‍यकों को अधिकार न दिया जाना भी उचित नहीं है. हालांकि, जब यह पूछा गया कि क्या भारत और इजरायल के बहुसंख्‍यक भी इसी तरह का तर्क देकर अपने कृत्‍यों को सही ठहरा सकते हैं? इस पर जुबैर के सुर बदल गए और उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें पंजाब में मंदिर पर हमले की जमीनी हकीकत पता नहीं है.


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Supreme Court जता चुका है चिंता 
 


जब पत्रकारों ने न‍वनिर्वाचित प्रतिनिधियों के पूछा कि क्या मंदिर को अपवित्र करने की घटना की निंदा नहीं की जानी चाहिए, तो उन्होंने कोई जवाब न देते हुए दूसरे विषय पर सवाल पूछने को कहा. यानी संगठन को नहीं लगता कि गणेश मंदिर पर हुए हमले में कुछ भी गलत है और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसे में यह सवाल उठाना लाजमी है कि क्या दोषियों को सजा मिल पाएगी. गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दोषियों पर कार्रवाई की बात कह चुके हैं और पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट भी इस घटना पर गंभीर है.