श्रीनगर: Indian Air Force Attack on Pakistan : भारतीय वायु सेना ने 'मिराज 2000 (Mirage 2000)' सहित अन्य फाइटर प्लेन की मदद से पाकिस्तान की सीमा के भीतर स्थित आतंकी शिविरों पर मंगलवार को तड़के हवाई हमला किया. भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके इसकी पुष्टि की है. इतना ही नहीं सीमा से सटे गांवों में बसे लोगों ने भी इस कार्रवाई की पुष्टि की है. ZEE न्यूज की टीम ने चश्मदीदों से जानने की कोशिश की आखिर भारतीय वायुसेना ने जब एयर स्ट्राइक किया उस वक्त का क्या माहौल था. उन्हें इसके बारे में कैसे पता चला.


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रात को जहाजों के आने जाने की आवाज आती रही. इसके बाद फायरिंग की आवाजें आने लगीं. हम बॉर्डर के करीब रहते हैं हमें जागना पड़ता है. रात दो बजे के बाद हम बिलकुल नहीं सोए. हमने धमाके होते देखे और आवाजें सुनीं. - अब्दुल रहमान


सुबह करीब 3 बजे से जहाजों की आवाजें आने लगीं. हम सभी घबरा गए. सुबह करीब 7 बजे तक आवाजें आती रहीं. सुबह 8 बजे पता चला की यहां सर्जिकल स्ट्राइक हुई है. - नरिंदर कुमार


रात को करीब साढ़े तीन बजे जहाजों की आवाजें आने लगीं. बीच बीच में बम गिरने की भी आवाजें आ रही थीं. हमें खुशी है कि हमारी इंडियन आर्मी भी थोड़ी हरकत में आई है. हमारे शहीद जवानों की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी. - राजा मोहम्मद शरीफ


पिछले कई दशकों से पाक प्रायोजित आतंकवाद और पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी को सहन कर रहे पुंछ जिले के नियंत्रण रेखा के आस-पास बसने वाले लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है. लोगों का कहना है कि हमें देश की सरकार और सेनाओं पर इस प्रकार की कार्रवाई का भरोसा था. पुंछ के लोगों का कहना है कि उन्होंने सुबह तड़के साढ़े तीन बजे आसमान पर जहाज उढ़ने की आवाजें सुनी, लेकिन उनकी कार्रवाई का पता उजाला होने के बाद चला है, हम लोग काफी खुश हैं.


मेंढर के रहने वाले नरिंदर कुमार का कहना है की हम ने पूरी रात जहाजों की आवाज सुनते रहे सुबह 3.30 बजे से ले कर 8 बजे तक आवाजे सुनाई देती रही. - नरिंदर कुमार


रात को तकरीबन 3.5 बजे के बाद जहाजों की आवाज सुनाई दी और बीच बीच में धमाकों की आवाज भी सुनाई देती रही. इस करवाई से देश का नाम रोशन हुआ और हमारे शहीद जवानों की कुरबानी बेकार नहीं गई.- राजा मोहम्मद शरीफ


रात को हम जब सो गए तभी अचानक जहाजों की आवाज सुनई दी, काफी जहाज आते जाते रहे बीच बीच धमाकों की आवाज भी आती रही.- अब्दुल आहद


रिपोर्ट: रमेश बाली