Pakistan News: क्रिकेट विश्व कप 2023 में 23 अक्टूबर को खेले गए मैच में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को हरा कर इतिहास रच दिया था. इस जीत के हीरो रहे इब्राहिम जादरान ने अपना 'मैन ऑफ द मैच' अवॉर्ड लेने के बाद कहा था, 'मैं इस मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड को उन लोगों को समर्पित करना चाहता हूं जिन्हें पाकिस्तान से वापस घर अफगानिस्तान भेजा जा रहा है.' इस बयान में जादरान का दर्द उन लाखों अफगान शरणार्थियों के लिए छलका है जिनका भविष्य अब अधर में लटका है. पाकिस्तान में बिना दस्तावेज के रहने वाले हजारों अफगान बुधवार को बॉर्डर की तरफ चल दिए क्योंकि उनके जाने के लिए जो समय सीमा तय की थी वह खत्म हो गई है. 


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बता दें पाकिस्तान सरकार ने बिना दस्तावेज के रह रहे प्रवासियों, मुख्य रूप से अफगानों के लिए स्वेच्छा से देश छोड़ने की समय सीमा एक नवंबर तय की थी. इस तारीख के बाद नहीं जाने वालों के खिलाफ गिरफ्तारी और निर्वासन की चेतावनी दी गई है.


पाकिस्तान में बिना दस्तावेज के रह रहे अफगानों की संख्या करीब 17 लाख बताई जाती है. 2021 में तालिबान के फिर से नियंत्रण में आने के बाद अफगानिस्तान छोड़कर भागने वाले शरणार्थी डरे हुए हैं. इनके अलावा बड़ी संख्या में अफगान दशकों से पाकिस्तान में रहे हैं. 


बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक तकनीकी रूप से पाकिस्तान छोड़ने की समय सीमा मंगलवार आधी रात को समाप्त हो गई. हालांकि पाकिस्तानी मीडिया की रिपोट्स में दावा किया गया है कि जो लोग देश छोड़ने के लिए रास्ते में हैं उन्हें दिन भर अपनी यात्रा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.


दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों में सीमा पार हमलों में बढ़ोतरी के बाद तनाव काफी बढ़ गया है. इन हमलों के लिए इस्लामाबाद अफगानिस्तान स्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराता है. वहीं तालिबान सरकार पाकिस्तान को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों को शरण देने से इनकार करती है. तालिबान सरकार ने बिना दस्तावेज वाले अफगानों को निर्वासित करने के कदम को 'अस्वीकार्य' बताया है.


लाख अफगान घर लौटे
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को बड़ी संख्या में शरणार्थी कपड़े और फर्नीचर से भरे ट्रकों पर सवार होकर अफगानिस्तान की सीमा पर पहुंचे. पाकिस्तान ने कहा कि सोमवार तक करीब 200,000 अफगान घर लौट गए हैं. रिपोर्टों में कहा गया है कि मंगलवार को 20,000 लोगों ने सीमा की ओर बढ़े क्योंकि जाने का समय समाप्त हो गया था.


संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, छोड़ने वाले 10 में से आठ लोगों ने कहा कि अगर वे रुके तो उन्हें गिरफ्तार किए जाने का डर है.


पाकिस्तान कर रहा आर्थिक संकट का सामना
इनमें से कई शरणार्थी, जो तालिबान द्वारा सरकार पर दोबारा कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान से भाग गए थे, उन्हें डर है कि उनके सपने और आजीविका एक बार फिर कुचल दिए जाएंगे. लेकिन हाल के वर्षों में आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अब इन्हें और रहने की परमिशन देने के मूड में नहीं है. बता दें जुलाई में, पाकिस्तानी रुपये में अक्टूबर 1998 के बाद से डॉलर के मुकाबले सबसे तेज गिरावट देखी गई.


यूएन ने की पाकिस्तान से अपील
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने पाकिस्तानी अधिकारियों से 'मानवाधिकार आपदा' से बचने के लिए निर्वासन रोकने की अपील की.


बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शामदासानी ने कहा, 'हमारा मानना है कि निर्वासन का सामना करने वाले कई लोग अफगानिस्तान लौटने पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर खतरे झेलेंगे जिसमें मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत, यातना, क्रूर और अन्य अमानवीय व्यवहार शामिल हैं.'


गौरतलब है कि तालिबान सरकार ने महिलाओं के काम करने और पढ़ने का अधिकार देने के अपने पहले के वादे को लगभग तोड़ दिया है. उनके शासन में महिलाओं के अधिकारों का दमन दुनिया में सबसे कठोर है,. अफगानिस्तान में लड़कियों को केवल प्राथमिक स्कूल में पढ़ने की अनुमति है. उन्हें पार्क, जिम और पूल में जाने की अनुमति नहीं है. व्यूटी सैलून बंद कर दिए गए हैं और महिलाओं को सिर से पैर तक कपड़े पहनना अनिवार्य है.


इस साल की शुरुआत में, तालिबान सरकार ने संगीत वाद्ययंत्रों को भी जला दिया था, उनका दावा था कि संगीत ‘नैतिक भ्रष्टाचार का कारण बनता है.’


तालिबना सरकार शरणार्थियों को मदद का आश्वासन
तालिबान सरकार का कहना है कि उसने वापस लौटने वाले अफगानों को अस्थायी आवास और स्वास्थ्य सेवाओं सहित बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक आयोग का गठन किया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक्स, [जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था] पर कहा, 'हम उन्हें आश्वासन देते हैं कि वे बिना किसी चिंता के अपने देश लौटेंगे और सम्मानजनक जीवन अपनाएंगे.'


पाकिस्तान में कुल कितने अफगान शरणार्थी
दशकों के युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने सैकड़ों-हजारों अफगान शरणार्थियों को शरण दी है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लगभग 1.3 मिलियन अफगान शरणार्थी के रूप में पंजीकृत हैं, जबकि अन्य 880,000 को बने रहने की कानूनी स्थिति प्राप्त हुई है. 


लेकिन पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री सरफराज बुगती ने 3 अक्टूबर को निष्कासन आदेश की घोषणा करते समय कहा अन्य 1.7 मिलियन लोग देश में 'अवैध रूप से' रह रहे हैं. हालांकि  संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े भिन्न हैं - उसका अनुमान है कि पाकिस्तान में दो मिलियन से अधिक बिना दस्तावेज वाले अफगान रह रहे हैं, जिनमें से कम से कम 600,000 तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद यहां आए हैं. 


'शरणार्थी नहीं हटते हैं तो...'
बुगती का आदेश अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की सीमा के पास हिंसा बढ़ने के बाद आया है. हिंसक घटनाओं में अक्सर तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) [जिसे अक्सर पाकिस्तानी तालिबान के रूप में जाना जाता है] - और इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह सहित सशस्त्र लड़ाके शामिल होते हैं. मंत्री ने दावा किया कि इस साल पाकिस्तान में '24 में से 14' आत्मघाती बम विस्फोट अफगान नागरिकों द्वारा किए गए थे.


सरकारी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बुगती ने कहा, 'इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम पर अफगानिस्तान के भीतर से हमला किया गया है और अफगान नागरिक हम पर हमलों में शामिल हैं... हमारे पास सबूत हैं.'


बुगती ने सोमवार को कहा कि यदि अनधिकृत शरणार्थी नहीं हटते हैं तो उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कार्रवाई का उद्देश्य विशिष्ट राष्ट्रीयताओं को निशाना बनाना नहीं था, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि प्रभावित लोग मुख्य रूप से अफगान हैं. 


[(फाइल फोटो साभार: UNOCHA/Sayed Habib Bidel)]