Freebies: `महिला वोटर्स को फ्री सुविधाएं देने का वादा`, कांग्रेस मेनिफेस्टो के विरोध में पुरुष कार्यकर्ताओं ने जलाए अंडरवियर
Burn underwear campaign Pune: भारत में चुनावी रेवड़ियां बांटने का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था. उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक शायद ही कोई ऐसी दिशा बाकी हो, जहां सियासी पार्टियों खासकर सत्ताधारी दलों द्वारा जनता की गाढ़ी कमाई को `माल-ए-मुफ़्त दिल-ए-बे-रहम` की तर्ज पर न बांटा जाता हो. चुनावी लॉलीपॉप कहें या जनता की भलाई के लिए किए जाने वाले वायदे इन सभी को मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने और इसे देश विरोधी कृत्य बताते हुए फ्रीबीज रोकने के सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है. इस बीच दूसरे चरण की वोटिंग से पहले पुणे समेत कई जगहों में मेल एक्टिविस्ट यानी पुरुषों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने अंडरवियर जलाकर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र (Congress Menifesto) में महिलाओं को फ्रीबीज देने का विरोध किया. (फोटो क्रेडिट: SIFF)
राजनीतिक दलों के मुफ्त 'उपहार' देने के वादे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ़्त सुविधाओं की घोषणाओं पर अंकुश लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से चुनावी घोषणापत्रों पर नज़र रखने के लिये कमेटी के गठन की मांग की गई है. इससे पहले पुणे में कुछ मेल एक्टिविस्ट ने कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में महिलाओं को फ्रीबीज़ और अन्य सुविधाएं देने के विरोध में अपना अंडरवियर जलाकर प्रोटेस्ट किया. कई अन्य शहरों में ऐसे प्रदर्शन की खबरें आई हैं.
पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (SIFF) कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रोटेस्ट किया. इससे पहले भी पॉलिटिकल पार्टीज की तरफ से ऑफर किए जाने वाले मुफ्त के उपहारों पर श्वेत पत्र लाने की मांग हो चुकी है. RBI के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव तक कह चुके हैं कि 'पीएम मोदी की लीडरशिप में सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वो लोगों को इन मुफ्त उपहारों के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक करे.' वहीं SIFF का कहना है कि यूं को कई दलों ने हर बार की तरह इस बार भी बंपर सियासी वादे किए हैं. लेकिन कांग्रेस के घोषणापत्र में पानी सर के ऊपर से गुजर गया है. इस मेनिफेस्टो में महिलाओं के लिए कई चुनावी वादे किए हैं.
प्रदर्शनकारियों के मुताबिक कांग्रेस नेताओं खासकर राहुल गांधी ने महिला मतदाताओं को पार्टी के लिए वोट करने के बदले मुफ्त सुविधाएं देने का वादा कर उन्हें अपने खेमे में करने की कोशिश की थी. लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले एक एनजीओ SIFF के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पार्टी की महिलाओं से जुड़ी घोषणाओं के विरोध प्रदर्शन में अपने अंडरवियर जला दिए और आधे जले हुए अंडरवियर को कांग्रेस पार्टी को भेजने की योजना बनाई है.
इन पुरुष समर्थक एक्टिविस्टों का कहना है कि महिला मतदाताओं को अपनी पार्टी की ओर आकर्षित करने के लिए राहुल गांधी ने कहा है कि वो हर गरीब महिला को हर महीने ₹8,500 देंगे. कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान भी महिलाओं को ऐसी मुफ्त सुविधाएं देने का वादा किया था. यह सीधे तौर पर पुरुषों से होने वाला भेदभाव है. इसलिए पुरुषों को ऐसे नेताओं को वोट नहीं देना चाहिए.
इस महीने की शुरुआत में राजस्थान में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, गांधी ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो गरीबी से जूझ रहे प्रत्येक परिवार की एक महिला के खाते में ₹1 लाख स्थानांतरित किए जाएंगे, जो प्रति माह ₹8,500 है. मेल एक्टिविस्टों का कहना है कि राहुल गांधी सिर्फ महिलाओं को मुफ्त बस टिकट और मुफ्त पैसे की पेशकश करके यहीं नहीं रुकेंगे. वो इस तरह के और मुफ्त उपहारों को पॉलिटिकल टूल की तरह इस्तेमाल करेंगे. इससे समाज में पुरुषों के खिलाफ भेदभाव बढ़ेगा. इससे विभाजन की भावना मजबूत होगी और सामाजिक अशांति को बढ़ावा मिलेगा.
बर्न अंडरवियर (Burn wnderwear) मुहिम को लेकर SIFF के अध्यक्ष राजेश वखारिया का कहना है कि महिलाओं के लिए एकतरफा चुनावी वादे करना लोकतांत्र के बुनियादी सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है.