देश का इकलौता गांव जहां कोई नहीं बनाता घर पर खाना, ये है दो टाइम पेट भरने का जुगाड़

Gujarat Unique Village Chandanki: गुजरात में स्थित चांदनकी नाम का गांव पिछले काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी वजह आपको हैरान कर सकती है. जहां पूरी दुनिया में हेल्थ एक्सपर्ट घर पर बना खाना खाने की ही सिफारिश कर रहे हैं, वहीं इस गांव का एक भी व्यक्ति घर पर खाना नहीं बनाता है. इसका कारण बहुत दिलचस्प है, जिसे यहां आप डिटेल में जान सकते हैं-

शारदा सिंह Tue, 24 Sep 2024-6:35 pm,
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चांदनकी गांव में कितने लोग रहते हैं

2011 में हुई जनगणना के अनुसार, चांदनकी एक छोटा सा गांव है जहां 250 लोग रहते हैं. जिसमें 117  पुरुष और 133 महिलाएं शामिल है. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में यहां संख्या 1000 तक पहुंच गई थी जिसमें से अभी सिर्फ 500 लोग यहां रहते हैं. जिसमें से ज्यादातर लोग बूढ़े हैं.

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चांदनकी गांव क्यों है सबसे अलग

यहां रहने वाले लोग अपने घर पर खाना नहीं बनाते हैं, और यह कोई हफ्ते महीने भर की बात नहीं है. यहां किसी भी दिन किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता है. यहां के लिए कम्युनिटी हॉल में एक साथ खाना खाते हैं. 

 

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कम्यूनिटी हॉल में खाते हैं भर पेट खाना

इस कम्युनिटी हॉल में दो वक्त का भर पेट खाना खाने के लिए हर व्यक्ति 2,000 रुपये महीना जमा करना होता है. रसोई में पारंपरिक गुजराती व्यंजन बनाए जाते हैं, जो कि पोषण और स्वाद दोनों ही नजरिए बेहतरीन होते हैं. 

 

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क्या है घर पर खाना नहीं बनाने का कारण

गांव के सरपंच पूनम भाई पटेल ने इस पहल की शुरुआत की थी. न्यूयॉर्क में 20 साल बिताने के बाद, पटेल लौटे तो उन्होंने पाया कि चांदनकी में बुजुर्ग दैनिक कार्यों को करने में संघर्ष कर रहे थे. क्योंकि कई युवा लोग शहरों की ओर चले गए थे. 

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टूरिज्म भी बढ़ रहा

न्यूक्लियर फैमिली में रहने का ट्रेंड इतना हो गया है कि घर के बूढ़े अकेले अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर है. इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए चांदनकी गांव में घर में खाना नहीं बनाने की पहल शुरू की गयी. इस अनूठे व्यवस्था को देखने के लिए लोग यहां आते हैं, जिससे टूरिज्म भी बढ़ा है.

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