`सीवान का साहेब` कहलाना पसंद करता था शहाबुद्दीन, जानें जेल जाने की पूरी कहानी
Shahabuddin Death News: आज शहाबुद्दीन के निधन के बाद सोशल मीडिया पर `चंदा बाबू` नाम के एक शख्स की चर्चा काफी अधिक हो रही है. ज्ञात हो कि शहाबुद्दीन को सलाखों के पीछे पहुंचाने में चंदा बाबू का काफी अहम योगदान था, इसी वजह से सोशल मीडिया पर आज उनके नाम की चर्चा काफी ज्यादा हो रही है.
Patna: आज (शनिवार) बिहार के बाहुबली राजद (RJD) नेता व पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) का निधन हो गया है. पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का निधन दिल्ली के एक अस्पताल हुआ है.
जानकारी के अनसुार, आरजेडी सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित थे और लंबे समय से बीमार थे. कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनका इलाज दिल्ली के ही एक अस्पताल में चल रहा था.
आज शहाबुद्दीन के निधन के बाद सोशल मीडिया पर 'चंदा बाबू' नाम के एक शख्स की चर्चा काफी अधिक हो रही है. ज्ञात हो कि शहाबुद्दीन को सलाखों के पीछे पहुंचाने में चंदा बाबू का काफी अहम योगदान था, इसी वजह से सोशल मीडिया पर आज उनके नाम की चर्चा काफी ज्यादा हो रही है.
दरअसल, जब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी, तब शहाबुद्दीन सीवान क्षेत्र के सबसे बड़े बाहुबली नेता हुआ करते थे. शहाबुद्दीन का इस क्षेत्र मे इतना अधिक दबदबा था कि कहा जाता है कि सड़क चलते लोगों को शहाबुद्दीन नाम लेने तक में डर लगता था.
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इस क्षेत्र के लोग शहाबुद्दीन को साहेब कहकर पुकारा करते थे और पूर्व सांसद को भी सीवान का साहेब सुनना पसंद था. लेकिन, सोचने वाली बात यह है कि जिस सांसद व बाहुबली नेता शहाबुद्दीन से पूरा इलाका थर्र-थर्र कांपता था, उसकी ऐसी हालत चंदा बाबू नाम के एक समान्य शख्स ने कर दी कि उसे अपनी आखिरी सांस भी जेल के अदंर ही लेना पड़ा. आज शहाबुद्दीन के निधन से जब राजद में शोक की लहर है, तब आइए जानते हैं बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के पतन की कहानी क्या है.
यह घटना 2004 के अगस्त महीने की है. सीवान में दो दुकानों के मालिक चंदा बाबू को दो लाख रुपए की रंगदारी के लिए फोन आ रहे थे. चंदा बाबू रंगदारी के उन फोन कॉल्स को इग्नोर रहे थे. एक दिन किसी काम से वह पटना निकल गए अपने भाई के पास, जो रिजर्व बैंक में अधिकारी थे.
16 अगस्त 2004 को चंदा बाबू के किराने की दुकान पर डालडा उतारने के लिए गाड़ी रुकी हुई थी और गल्ले में डालडे वाले को देने के लिए ढाई लाख रुपए पड़े थे. दुकान पर चंदा बाबू का बेटा सतीश था.
उसी दौरान रंगादारी मांगने वाले बदमाश हथियारों के साथ आ धमके. सतीश ने कहा कि खर्चे के लिए 30-40 हजार रुपए दे सकता है, दो लाख रुपए उसके पास नहीं है. इसके बाद बदमाशों ने सतीश की पिटाई की और गल्ले में रखे ढाई लाख रुपए निकाल लिए.
इस दौरान छोटे भाई राजीव ने जब सतीश को गुंडों के हाथों मार खाते देखा, तो अपने भाई को बचाने के लिए उसने बाथरूम साफ करने के लिए रखी एसिड को मग में डालकर बदमाशों की ओर फेंका. इसके बाद बदमाशों ने राजीव को एक खंभे में बांध दिया और उसके सामने दो भाई सतीश व गिरीश को तेजाब से नहला दिया.
इस विभत्स घटना में चंदा बाबू के दो बेटों का मौके पर दर्दनाक मौत हो गई. राजीव को बदमाश अपने साथ ले गए. इस घटना के बाद चंदा बाबू अपने दो बेटों की मौत व एक बेटे को बदमाशों के पास से छुड़ाने के लिए नेताओं से लेकर तमाम बड़े पुलिस अधिकारी के दफ्तर तक गए. लेकिन किसी से मदद नहीं मिला.
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बाद में किसी तरह चंदा बाबू का बेटा राजीव अपराधियों के पास से भागने में सफल हो गया. वह इस मामले में एकलौता गवाह था. लेकिन, आरोपियों ने 2014 में राजीव की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद भी चंदा बाबू हिम्मत नहीं हारे और शहाबुद्दीन के खिलाफ केस लड़ते रहे.
प्रदेश में 2005 में नीतीश कुमार की सरकार आने के बाद बाहुबली नेता के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई. आखिरकार चंदा बाबू अपने तीन बेटों को खोने के बाद शहाबुद्दीन को जेल भेजने में कामयाब हो ही गए. हालांकि, चंदा बाबू का निधन दिसंबर 2020 में हो गया. लेकिन आज सजा के दौरान शहाबुद्दीन के निधन के बाद लोगों के जेहन में अचानक चंदा बाबू जिंदा हो गए हैं.