नई दिल्ली: देश में 2019 का लोकसभा चुनाव मई में होने की संभावना है. इस बीच कई राज्यों में राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है. 2014 में देश के उत्तर-पूर्व में स्थित असम में मोदी लहर में असम के 14 में से 7 लोकसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी की डगर इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान काफी मुश्किल दिख रही है.


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कोकराझार सीट का चुनावी इतिहास 


असम का कोकराझार संसदीय सीट (Kokrajhar Parliamentary Constituency) अनुसूचित जनजाति (schedule tribe) के लिए आरक्षित है. यहां से 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय नब कुमार सरानिया (हिरा) ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय उरखाव ग्वारा ब्रह्मा को 4 लाख से ज्यादा मतों से चुनाव में हराया था. इससे पहले संसुमा खुनग्गुर बविश्वमुथियारी(Sansuma Khunggur Bwiswmuthiary)  ने 1998, 1999, 2004 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर यहां से जीत हासिल की थी. वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से बविश्वमुथियारी (bwiswmuthiary) ने बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के टिकट पर चुनाव में जीत दर्ज की थी. 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी रहे उरखाव ग्वारा ब्रह्मा को चुनाव में हराया था. 


वैसे कोकराझार असम का संवेदनशील जिला माना जाता है. 2012 में यहां पर स्थानीय बोडो आदिवासी समुदाय और बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच भीषण दंगे हुए थे. जिस कारण यह देश में काफी चर्चा में भी रहा था. 



देश के उत्तर-पूर्व (North-east) में स्थित राज्य असम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है. यहां से लोकसभा चुनाव 2014 (loksabha election 2014) के दौरान राज्य की 14 संसदीय सीटों में से बीजेपी ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा कांग्रेस (Congress) के खाते में 3. जबकि आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने 4 सीटें जीती थी.  


वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से कांग्रेस ने 7, बीजेपी ने 4 जबकि अन्य ने 9 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसमें, 1 सीट असम गण परिषद (AGP) और 1 सीट बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (BDF) ने जीता था. 


आपको बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर के प्रभाव के कारण असम के लोगों ने बीजेपी नीत गठबंधन को 7 सीटें दी थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी-आसु (Aasu) के बीच चल रहा विवाद, बीजेपी के नेताओं से उनकी नाराजगी का राज्य के चुनाव परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है. 


इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नेशनल वोटर्स रजिस्टर, नागरिकता के कानून में बदलाव (amedment in citizenship bill) के अलावा असम अकार्ड (Assam Accord) को लागू करना एक बड़ा मुद्दा हो सकता है.