Gayatri Jayanti 2024: गायत्री जयंती पर ये काम करने से मिलेगी मानसिक शांति, नोट कर लें तारीख और महत्व
Kab Hai Gayatri Jayanti 2024: हिंदू धर्म शास्त्रों में गायत्री मंत्र का विशेष महत्व बताया गया है. ये बहुत ही प्रभावशाली और शक्तिशाली माना गया है. मां गायत्री को वेदों की माता माना गया है. गायत्री जयंती के दिन गायत्री मंत्र का जाप विशेष फल प्रदान करता है.
Gayati Jayanti 2024 Date: ज्योतिष शास्त्र में हर दिन और तिथि का खास महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इसे विशेष माना गया है. मान्यता है कि इस दिन वेदों की माता मां गायत्री प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है.
बता दें कि शास्त्रों में मां गायत्री को वेदों की माता कहा जाता है. वहीं, पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन वेदों की माता गायत्री प्रकट हुई थी. ऐसा भी कहा जाता है कि हिंदू धर्म के 4 वेदों की उत्पत्ति मां गायत्री से हुई थी और गायत्री मंत्र में 4 वेदों का सार मौजूद है. मां गायत्री को ज्ञान की देवी के नाम से भी जाना जाता है. जानें इस दिन का महत्व और शुभ मुहूर्त.
कब है गायत्री जयंती 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस साल ज्येष्ठ माह की एकादशी 17 जून को मनाई जाएगी. इस दिन सुबह 4 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 18 जून सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार गायत्री जयंती 17 जून को मनाई जाएगी.
गायत्री जयंती पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गायत्री जयंती पर बेहद ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है. बता दें कि इस दिन रवि योग, शिव योग और चित्रा नक्षत्र रहेगा. ऐसे में इस दिन की गई विधि विधान से पूजा-अर्चना करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
गायत्री जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त 2024
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गायत्री जयंती के दिन वेदों की देवी गायत्री मां की पूजा का विधान है. इस दिन सुबह उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करें और इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें. मान्यता है कि इस मंत्र के जाप के बाद ही पूजा को संपूर्ण माना गया है. बता दें कि इस दिन सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर सूर्योदय होगा. वहीं, सुबह 4 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 4 बजकर 43 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा.
गायत्री जंयती का महत्व
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मां गायत्री प्रकट हुई थीं और उन्होंने 4 वेटों की उत्पत्ति की थी. पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्म देव की सृष्टि की रचना के दौरान ही गायत्री मां की प्रकट हुई थीं. तब ब्रह्म देव ने माता गायत्री से मंत्र की व्याख्या करने को कहा था. ब्रह्म देव के कहने पर मां गायत्री ने ‘ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्’ का आह्वान किया और 4 वेदों को प्रकट किया था. इसलिए ही मां गायत्री को वेदों की माता कहा जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि गायत्री मंत्र में 4 वेदों का सार मौजूद है. इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दुख मिट जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)