Puja Tips: भगवान को भोग लगाते समय किन बातों का रखें ध्यान? जानें मंत्र व पूजा टिप्स
Right Way to Offer Prasad to Bhagwan: पूजा करते समय भगवान को भोग लगाया जाता है. हालांकि, लोगों को भोग लगाने का सही तरीका, नियम और मंत्र नहीं पता होते हैं. आइए जानते हैं.
Bhog Lagane ke Niyam: मन की शांति हो या फिर जीवन में आ रही किसी भी प्रकार की दिक्कत. भगवान की शरण में जाने से हर तरह के दुख-तकलीफ दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. अक्सर लोग भगवान की पूजा करते समय उन्हें भोग लगाते हैं. हालांकि, कई लोगों को सही भोग और उसको लगाने का नियम पता नहीं होता है. वहीं. ये भी जानकारी नहीं होती है कि भोग लगाते समय आखिर क्या बोला जाए. ज्योतिष शास्त्र में पूजा को लेकर नियम बताए गए हैं. ये नियम भोग लगाने को लेकर भी हैं.
नियम
हर देवी-देवता को अलग तरह का प्रसाद या भोग लगाया या चढ़ाया जाता है. सभी देवी-देवताओं के अपने प्रिय भोग होते हैं. हालांकि, जानकारी के अभाव में उन्हें लोग कुछ भी चीज चढ़ा देते हैं. इस वजह से पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है. भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और शिवजी को अलग-अलग तरह के भोग पसंद हैं. ऐसे में पूजा करते समय उनके अनुसार ही भोग लगाना चाहिए.
प्रसाद
भगवान विष्णु को खीर या सूजी का हलवा बेहद पंसद होता है. यह उनका प्रिय भोग माना जाता है. भगवान विष्णु को तुलसी के पतेता रखकर ही भोग चढ़ाना चाहिए. वहीं, मां लक्ष्मी को भी यही भोग प्रिय होता है. भगवान शिव का भांग, धतुरा, पंचामृत प्रिय भोग माना जाता है. इसके साथ भोले भंडारी को मीठा भोग भी पंसद होता है. मां पार्वती को खीर का भोग चढ़ाना चाहिए.
सात्विक
भगवान को चढ़ाया जाने वाला भोग साफ-सुथरा और सात्विक होना चाहिए. भगवान को चढ़ाए जाने वाले भोग को तैयार करते समय किचन की सफाई के साथ ही खुद की सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. हमेशा स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर ही भगवान को प्रसाद तैयार करें.
जूठा भोग
भगवान को कभी भूलकर भी जूठा भोग नहीं चढ़ाना चाहिए. प्रसाद को चखने के चक्कर में उसे जूठा नहीं करना चाहिए. भगवान को लगाए जाने वाले भोग को पहले ही अलग निकालकर रख लेना चाहिए. इसे भगवान को चढ़ाने के बाद आपस में वितरित कर लेना चाहिए.
मंत्र
अधितकर लोगों को भगवान को भोग चढ़ाते समय क्या बोलना है, इसका पता नहीं होता है. इसके लिए मंत्र दिया गया है, जिसका भोग लगाते समय उच्चारण करना चाहिए.
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
इस मंत्र या श्लोक का अर्थ है कि हे ईश्वर मेरे पास जो भी है वो आपका ही दिया हुआ है. आपका दिया आपको समर्पित करता हूं. कृपा करके इसे ग्रहण करे और मुझ पर प्रसन्न हों.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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