नई दिल्ली: आज शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. द्वादशी तिथि आज (बुधवार) दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगी, उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जायेगी. इसके बाद प्रदोष काल लग जाएगा. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का बड़ा महत्व है. चूंकि दिन बुधवार है इसलिए यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. आज व्रज रखना बेहद फलदायी है. आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है. अगर आप विधि विधान से शिव-पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं तो जीवन में सुख, शांति और संपन्नता आती  है. पूजा विधि विधान से पहले जानते हैं प्रदोष कथा.


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बुध प्रदोष व्रत कथा
लोकमान्यता और शास्त्रों के अनुसार, एक नगर में एक बेहद गरीब पुजारी रहता था. पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए भीख मांगने पर मजबूर हो गई. वह सुबह अपने पुत्र को साथ लेकर भीख मांगने निकल जाती और शाम को घर वापस आती. एक दिन अचानक उसकी मुलाकात विदर्भ के राजकुमार से हुई. राजकुमार भी अपने पिता की मृत्यु के बाद दर-दर भटक रहा था. पुजारी की पत्नी को राजकुमार पर दया आ गई और उसे वह अपने साथ घर ले आई. पुत्र की तरह लालान पालन करने लगी.

एक दिन पुजारी की पत्नी शांडिल्य ऋषि के आश्रम पहुंची, वहां उसने ऋषि से शिव-पार्वती के प्रदोष व्रत की कथा एवं विधि सुनी. घर जाकर वह भी प्रदोष व्रत रखने लगी. व्रत रखने के बाद बेहद तेजी से उसके जीवन में घटनाक्रम बदला. जिस राजकुमार को वह अपने घर लेकर आई थी उसकी शादी गंधर्व के राजा धर्मगुप्त है की बेटी से हो गया. बाद में राजकुमार ने गंधर्व की सेना के साथ विदर्भ पर हमला किया और विय प्राप्त की और महल में वह पुजारी की पत्नी और पुत्र को भ आदर के साथ रखने लगा. पुजारी की पत्नी ने अपने जीवन में आए इतने बड़े बदलाव की वजह प्रदोष व्रत को बताया.


प्रदोष व्रत पूजा विधि
सबसे पहले सूर्य भगवान को जल अर्पित करें. भगवान शिव के दर्शन करें. भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा, पुष्प, दीपक, जनेऊ, सुपारी और कलावा चढ़ाएं. भोग लगाएं. इसके बाद सच्चे मन से भगवान शिव की प्रार्थना करें. शिव स्त्रोत का जाप करें. ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. संपन्नता आती है. कर्ज से मुक्ति मिलती है.


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