Dhanteras 2024 Date and Time: दिवाली के त्योहार में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. लोगों को इस त्योहार का इंतजार पूरे सालभर से रहता है. दीपावली की तैयारी एक महीना पहले से शुरू हो जाती हैं. जानकारी के लिए बता दें दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इसको त्रोयदशी या धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग खरीदारी और पूजा-पाठ करते हैं. आइए जानते हैं इस साल धनतेरस कब है, क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व...


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कब है धनतेरस 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 17 मिनट पर होगा. इसके चलते धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा. 


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धनतेरस का शुभ मुहूर्त


धनतेरस की पूजा गोधूल काल में की जाती है. ऐसे में 29 अक्टूबर को आप शाम 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 13 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी, गणेश और कुबेर जी की पूजा करने का विधान है. 



धनतेरस महत्व
धनतेरस पर खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन लोग सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू आदि चीजें खरीदते हैं. साथ ही इस दिन भगवान धन्वंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती हैं और धन की समस्याएं दूर हो जाती हैं. 



पूजा विधि
- धनतेरस पर धन्वंतरि देव, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
इसके बाद शुभ मुहूर्त में धूप-दीप जलाकर देवी-देवताओं की पूजा करें.
भक्तिभाव से मंत्रों का जाप और आरती करें.
फिर धन्वंतरि देव, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता को प्रिय भोग लगाएं.


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पढ़ें कुबेर देव की आरती...


ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,


स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।


शरण पड़े भगतों के,


भण्डार कुबेर भरे।


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,


स्वामी भक्त कुबेर बड़े।


दैत्य दानव मानव से,


कई-कई युद्ध लड़े ॥


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


स्वर्ण सिंहासन बैठे,


सिर पर छत्र फिरे,


स्वामी सिर पर छत्र फिरे।


योगिनी मंगल गावैं,


सब जय जय कार करैं॥


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


गदा त्रिशूल हाथ में,


शस्त्र बहुत धरे,


स्वामी शस्त्र बहुत धरे।


दुख भय संकट मोचन,


धनुष टंकार करे॥


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,


स्वामी व्यंजन बहुत बने।


मोहन भोग लगावैं,


साथ में उड़द चने॥


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


बल बुद्धि विद्या दाता,


हम तेरी शरण पड़े,


स्वामी हम तेरी शरण पड़े,


अपने भक्त जनों के,


सारे काम संवारे॥


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


मुकुट मणी की शोभा,


मोतियन हार गले,


स्वामी मोतियन हार गले।


अगर कपूर की बाती,


घी की जोत जले॥


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥


यक्ष कुबेर जी की आरती,


जो कोई नर गावे,


स्वामी जो कोई नर गावे ।


कहत प्रेमपाल स्वामी,


मनवांछित फल पावे।


॥ इति श्री कुबेर आरती ॥


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.