Real Date of Diwali in 2024 : इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर काफी भ्रम की स्थिति है और अगर इसे सही दिन पर नहीं मनाया गया तो महादोष उत्पन्न हो सकता है. दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह समृद्धि की देवी लक्ष्मी के पूजन से जुड़ा हुआ एक पवित्र पर्व है. इसका सही दिन पर मनाया जाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि किसी प्रकार की अशुभ स्थिति या दोष उत्पन्न न हो. ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी से जानिए कि संवत 2081 के अनुसार इस वर्ष दीपावली कब और क्यों मनाई जानी चाहिए.


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2 दिन रहेगी अमावस्‍या 


दीपावली का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है. इस वर्ष, संवत 2081 में अमावस्या की तिथि 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को दिन में 3:54 बजे शुरू होकर 1 नवंबर 2024 शुक्रवार को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी. इसका अर्थ है कि अमावस्या तिथि दो दिनों तक चलेगी, लेकिन शास्त्रों के अनुसार दीपावली का पर्व दूसरे दिन मनाना उचित माना जाता है.


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प्रदोष काल क्‍या है?


प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त के बाद के लगभग 144 मिनट (2 घंटे 24 मिनट) का समय होता है. यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इसी काल में पूजा-पाठ करने का विशेष महत्त्व है, क्योंकि यह देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे उचित समय होता है. शास्त्रों में यह नियम है कि यदि अमावस्या तिथि प्रदोष काल में आती है, तो उसी दिन पूजा और पर्व मनाना उचित होता है. इसे ही प्रदोष व्यापिनी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि अमावस्या की तिथि प्रदोष काल में व्याप्त होनी चाहिए. इस वर्ष, अमावस्या तिथि दोनों दिन प्रदोष काल में व्यापिनी है, लेकिन धर्मशास्त्र के अनुसार जब दो दिन अमावस्या प्रदोष व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन दीपावली मनाना अधिक उचित माना जाता है. 


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दीपावली कब मनाई जाएगी?


"दण्डैक रजनी योगे दर्शः स्यात्तु परेऽहवि. तदा विहाये पूर्वे द्युः परेऽहनि सुख्खरात्रिकाः"


(निर्णय सिंधु)


इसका अर्थ है कि यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन ही अमावस्या मानना शुभ होता है. यदि पहले दिन अमावस्या का पूजन किया जाता है, तो वह महादोष उत्पन्न करता है और पहले किए गए पुण्यों को नष्ट करता है.


"तत्र सूर्योदयं व्याप्यास्तोत्तरं घटिकादिक रात्रि व्यापिनी दर्शे न संदेहः"


(धर्मसिंधु)


इसका अर्थ है कि यदि अमावस्या सूर्योदय में व्याप्त होकर रात में एक घटिका (लगभग 24 मिनट) से अधिक समय तक रहती है, तो उसमें कोई संदेह नहीं है और वह तिथि लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है. इस वर्ष, 1 नवंबर 2024 को अमावस्या सूर्योदय से लेकर रात तक प्रदोष काल में एक घटी से अधिक समय तक व्यापिनी रहेगी, जो इसे लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ बनाता है.


धर्मशास्त्रों के अनुसार, यदि अमावस्या की तिथि दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो, तो लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन ही किया जाना चाहिए. इसका कारण यह है कि दूसरे दिन की अमावस्या शुभ मानी जाती है, क्योंकि पितृ कार्य (जैसे अभ्यंग स्नान, देव पूजन और पार्वण कर्म) पहले संपन्न होते हैं और फिर लक्ष्मी पूजन किया जाता है. यदि पहले दिन दीपावली मनाई जाती है, तो यह क्रम उल्टा हो जाएगा, जो शास्त्रों के विपरीत है.


निर्णय सिंधु और धर्मसिंधु जैसे शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि जब अमावस्या तिथि दो दिन प्रदोष काल में व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए. इसके अलावा, शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि अमावस्या का प्रतिपदा युता युग्म शुभ फलदायी होता है. इसलिए 1 नवंबर 2024 को अमावस्या सूर्योदय के बाद भी प्रदोष काल में एक घटी से अधिक समय के लिए व्यापिनी रहेगी. इस कारण से, शास्त्रों के अनुसार इसी दिन दीपावली मनाना सबसे शुभ और शास्त्रसम्मत होगा.


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