Durga Mata Katha: मां चंडी को अपने नेत्र क्यों अर्पित कर रहे थे भगवान राम, क्या था कारण, पढ़ें रोचक कथा
Maa Durga ki Katha in Hindi: माता रानी अपने भक्तों की हर एक मुराद पूरी करती हैं और बिगड़े कार्यों को सफल बना देती हैं. आज हम आपको माता रानी के चंडी स्वरूप और प्रभु राम की कथा बताने जा रहे हैं.
Maa Durga ki Pauranik Katha: अभी चैत्र नवरात्रि का पावन त्योहार चल रहा है. चैत्र नवरात्रि के त्योहार का माता के भक्तों को पूरे साल से इंतजार रहता है. नवरात्रि के 9 दिन के दौरान माता रानी के भक्त माता के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. कहा जाता है की माता रानी अपने भक्तों की हर एक मुराद पूरी करती हैं और बिगड़े कार्यों को सफल बना देती हैं. आज हम आपको माता रानी के चंडी स्वरूप और प्रभु राम की कथा बताने जा रहे हैं.
ब्रह्मा जी ने दिया मां चंडी की पूजा का सुझाव
प्रभु राम और मां चंडी की कथा रमायण से जुड़ी हुई है. जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले गया था तब भगवान राम को ब्रह्मा जी ने एक सुझाव दिया था. ब्रह्मा जी ने प्रभु राम को माता दुर्गा के चंडी स्वरूप की पूजा करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि माता दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से प्रभु राम रावण का वध और लंका पर विजय प्राप्त करने में सफल होंगे.
रावण ने डाली पूजा में अड़चन
प्रभु राम ने ब्रह्मा जी के स्वभाव को स्वीकार कर लिया. पूजा करने के लिए 108 प्रभु राम को 108 नीलकमल के फूल चाहिए थे. प्रभु राम ने मां चंडी को अर्पित करने के लिए 108 नीलकमल फूल मंगवा लिए. लंकापित रावण को इस पूजा के बारे में पता चला तो उसने पूजा में अड़चन डालने का विचार किया.
फूलों की जगह नेत्र अर्पित करने का विचार
पूजा में अड़चन डालने के लिए उन 108 फूलों में से एक फूल गायब कर दिया. जब प्रभु राम को पता चला कि उन फूलों में से एक फूल कम है तो उन्हें लगा की पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलेगा. इसके लिए उन्होंने माता रानी को अपने नेत्र अर्पित करने का विचार किया. इसका कारण ये था क्योंकि राम जी के भक्त उन्हें नीलकमल कहकर संबोधिक किया करते थे.
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माता रानी हुईं प्रभु राम से प्रसन्न
प्रभु राम जब एक-एक कर माता रानी को फूल अर्पित करने लगे और 107 फूल अर्पित कर दिए. इसके बाद आखिरी फूल की जगह अपनी आंखों को अर्पित करने के लिए तीर निकाल ही रहे थे की माता रानी उनके सामने प्रकट हो गईं. माता रानी प्रभु राम से बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने राम जी को वरदान दे दिया. मां चंडी ने प्रभु राम को लंका पर विजय प्राप्त करने का वरदान दिया जिसके बाद प्रभु राम ने लंका पर विजय हासिल की और माता सीता को रावण से बंधनमुक्त कर दिया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)